पृष्ठ:राष्ट्रीयता और समाजवाद.djvu/२५८

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सत्याग्रह और प्रजातन्त्र २४३ मुझे विश्वास है कि सोशलिस्ट पार्टी अपनेको पूर्ण समर्थ बनायेगी और कार्यरूपमे यह सिद्ध कर देगी कि लोकतन्त्र और समाजवादकी एक साथ प्रगति सम्भव है । + सत्याग्रह और प्रजातन्त्र इस समय इगलैण्डमे मकानोकी बडी किल्लत है । गरीव बे-घरवार हो रहे हैं और अमीरोके फ्लैट कही-कही खाली पडे है तथा फौजके लोगोके रहनेके लिए बनाये गये कैम्प भी खाली है । अधिकारियोसे कहा गया कि खाली मकानोको इन गरीबोके लिए ले लिया , जाय, किन्तु उन्होने इस ओर ध्यान नही दिया । जब गरीवोने देखा कि उनके रहनेका कोई प्रबन्ध नही हो रहा है तब उन्होने इन रिक्त स्थानोमे जाकर अपना सामान रखना प्रारम्भ किया । यह ठीक है कि उनका यह काम नियम-विरुद्ध है । किन्तु जब अधिकारी कुछ सुनते नही और टाल-मटोल करते है तव इनके लिए कोई दूसरा चारा नही रह जाता। ऐसी अवस्थामे सत्याग्रहद्वारा ही अधिकारी अपना, कर्तव्य पालन करनेके लिए विवश किये जा सकते है । 'न्यु स्टेट्स्मैन एण्ड नेशन' (२४ अगस्त, १९४६) की सम्पादकीय टिप्पणीमे प्रश्न किया गया है कि इस घटनासे हम क्या सवक ले सकते है । सम्पादकका उत्तर यह है "सत्याग्रहद्वारा अधिकारियोको अपने कर्तव्यसे नियोजित करना पडता है । मजदूरोंको विद्रोही समझकर उनकी उपेक्षा करना उचित नही है । यह नही समझना चाहिये कि उन्होने अपने कार्यसे अपने इस हकको खो दिया है कि इनके साथ न्याय किया जाय । इसके विपरीत मन्त्रिमण्डलको सदा सतर्क रहना चाहिये और यह देखना चाहिये कि विविध विभागोका काम इतना धीमा तो नही है कि उसके कारण ऐसी स्थिति पैदा हो जाय जिसके विरुद्ध लोगोंको विद्रोह करना पडे।" पुन. २८ सितम्बरकी एक टिप्पणीमे 'न्यु स्टेट्स्मैन एण्ड नेशन' कहता है कि यह आन्दोलन निस्सन्देह बहुत आवश्यक था। जो स्थानीय अधिकारी अपने काममे ढीले थे अथवा जो प्रतिक्रियावादी थे वे इस आन्दोलनसे बहुत डर गये। सम्भवतः इस आन्दोलनसे मिस्टर वेवन ( Bevan ) अधिक-से-अधिक मकान बनानेके लिए विवश हुए है । “यद्यपि सरकारके लिए इस आन्दोलनको रोकना अनिवार्य था, तथापि कभी- कभी थोड़ी गैर-कानूनी कार्यवाही और सत्याग्रह वैधानिक शासनकी व्यवस्थामे उपयोगी सिद्ध होते है । वे लोग भी जो व्यक्तिगत जायदादके स्वत्वोकी दुहाई देते है इस आन्दोलनसे प्रभावित हुए है और उनकी समझमे आ गया है कि वे-घरवार लोगोको कितना कष्ट होता है । इस आन्दोलनसे सरकारको यह भी मालूम हो गया है कि मकान बनानेके वारेमे जनता क्या चाहती है और इस प्रोग्रामके कार्यान्वित करनेसे जितनी तरक्की होगी उसी हिसाबसे जनता सरकारके कार्यके सम्बन्धमे अपनी राय कायम करेगी । विदेशी समाचार चाहे बड़े-बड़े शीर्षकोके साथ पत्रोमें दिये जायँ और ऐसे शीर्षक घरेलू राजनीतिको