पृष्ठ:राष्ट्रीयता और समाजवाद.djvu/२७०

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

जनताका आशादीप बुझ रहा है २५५ i उदासी कैसे हटे ? आज किसानोमे, और जनताके दूसरे वर्गोमे भी, वहुत बडी उदासी छायी हुई है। वे किंकर्तव्यविमूढ़ नजर आते है । मुल्ककी आजादीसे किसानोने वडी उम्मीदे वाँध रखी थी। वे रामराज्यका सपना देख रहे थे, किन्तु आज जनताकी मामूली जरूरते भी पूरी नहीं हो पाती । इस कारण लोगोके दिल टूट गये है। हमे इस निराशा और उदासीनताके वातावरणको बदलना है । इस वातावरणको बदलनेके लिए हमे जनतामे समानताकी भूख जगानी है । हमे एक ऐसी नयी दुनिया बसानी है जिसमे सबके लिए अवसरकी समानता होगी। इसी विश्वाससे ही बुझे हुए दिलोमे एक नयी शक्ति, एक नया उत्साह पैदा होगा। किसान अपनी जिम्मेदारीको ठीकसे निवाह सके इसके लिए उनकी शिक्षा जरूरी है। किसानोको शिक्षित करना सरकारका फर्ज है । हुकूमतकी वागडोर सँभालनेवाले अनेक नेता चुनावके नतीजोसे घबरा गये है। किन्तु सरकार अपना फर्ज अदा करे या न करे पचोको तो किसानोको राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय प्रश्नोकी शिक्षा देनी ही है । समाजवादियोंका कर्तव्य यद्यपि वर्नमान गाँव-पचायतके अधिकार और साधन एक हदतक सीमित है फिर भी ये पंचायते ऐसी व्यवस्थापिका सभाएँ नही है जहाँ आपका कार्य केवल विरोधी दल बनाना हो । पंचायतोसे रचनात्मक कार्य भी साथ-साथ चल सकता है। आपकों रचनात्मक कार्यमे लगना चाहिये। यदि आप विना जात-पात, सम्प्रदाय आदिका भेद किये ईमानदारीसे रचनात्मक कार्य करके अपनेको शोषित जनताका सच्चा सेवक और हमदर्द सिद्ध कर देगे तो वह आपको अपना साथी और रहवर समझेगी। अपने ऊँचे सिद्धान्तोको रखते हुए, लक्ष्यकी सिद्धिके प्रति दृढप्रतिज्ञ रहकर, सच्चे दिलसे जनताकी सेवा करते हुए, ग्रामीण जनतामे समताकी भूख जगाकर आप गाँव-पंचायतोको प्रजातन्त्रकी वास्तविक आधारशिला और समाजवादकी स्थापनाका साधन बना सकेगे। जनताका आशा-दीप बुझ रहा है मैं इधर कुछ अरसेसे तीन-चार वातोपर जोर दे रहा है। सबसे मौलिक बात यह है कि देशमे निराशा और निस्त्साहका वातावरण छाया हुआ है और लोगोमें सामाजिक तथा राजनीतिक प्रश्नोके प्रति उदासीनता वढती जाती है। हमारे नवयुवक भी इस उदासीनताके शिकार होते जाते है । इस परिस्थितिके अनेक कारण है । नवाजित स्वाधीनताका उल्लास किसीके हृदयमे नही है और इसी कारण नवीन रचनाके लिए उत्साहका भी अत्यन्त प्रभाव है। बिना अदम्य उत्साहके कोई भी महान् कार्य सम्पन्न नही हो सकता और यही कारण है कि कोई भी योजना जो बनायी जाती है केवल कागजपर