पृष्ठ:राष्ट्रीयता और समाजवाद.djvu/२९

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राष्ट्रीयता और गगाजवाद एक नवीन स्फूति मिली। लोगोफ बोए दिल रोशन हो गये और गाये और निराशाका साम्राज्य था वहीं 'पाशानी क्षीण रेगा मियी पहनगी । स्वदलीय प्रचार बढ़ने लगा । कलकत्तेने विद्यागियोने विदेशी मालीनी नाना प्रारम्भ किया। हर गाल दुर्गापूजाके अवसरसर मना मारलानी गर्न गए मैचेस्टरले एजेण्टोगे नायो रपयोगा गोदा करते थे, पर गन् १९८५ में भी मौत नही हगा। विद्यार्थियोको यान्दोगनने रममा नगर निकाला गया । इस समुलरके अनुसार रफूल गौर कालेजन विमानमा किया गया कि यदि वे दुकानोपर धरना देगे या गजनीमियममात्र गा: मोमेशा मातरम्का घोप करेंगे तो उनको दा" दिया जायगा । HTTARAT गुरुतर अपराध समझा जाता था कि नोक लिए गायनमय लिपिमांगा किया गया था। जब विद्याशियोने जांना देगेनार किया गया दिये गये । फल यह या कि घटना माननाprint राष्ट्रीय विद्यालयको स्थापना हो गगी । मारला वाव मेनागाने कार्यको अपने हाथमे लेनेगा दिनार पिया । गनगन गटीय महावितरण खोला गया । किसी-किसी जिलेमेन्बदेशी पोरबलित विपगार था। नगन्याने वारीसालको एक घटना उल्लेखनीय है । बानेगालमें भी चिनी गार तता प्रभाव था । उनका प्रभाव जनतापर यहांत पाहिचिना उनणी मो वाजारमे एक गज भी विनायती नापा नही मिल माना था। पवार नगाव र अंग्रेज मैनेजरको कुछ विलायती कपला जरीदनेको जलपी । म उनको बाना कपडा न मिला तो उन्होंने पुतिन गुपरिटकी नहायता गाती । पुनियान भी निष्फल हुया । इसकी शिकायत जिला मजिस्ट्रेटने की गनी । लिा मजिग्ने पता लिखकर अश्विनी बाबूने अनुमति देनेगी प्रार्थना की। अश्विनी बायती मनमति दुकानदारने उस अग्रेजके हाथ कपना बेनना स्वीकार किया । अश्विनी बाबात मा प्रभाव सरकारको बहुत अवरा । उस समय पूर्वी बगाल और प्रानामगे नेगिनेंट गयर फुलर साहब थे। यह राष्ट्रीय पक्ष के लोगोरो बहुत नाराज थे। एक बार जब गहना गये थे तब वहाँके विद्यार्थियोंने उनके स्वागतका बहिष्कार किया मा और यह मानते वाहर पिकनिकके लिए चले गये थे। जब उन्हें वारीसाना स्थिति मालूम हुई तो यह फौरन लार्ड कर्जनसे मिलने के लिए ग्रागरेके लिए रवाना हुए। वहां ना पानी पगमर्ग कर भविप्यको नीति निर्धारित की गयी । ग्रासामको गुरया मिनिटगे पुलिगको बारीगाल जानेका तारद्वारा आदेश दिया गया। जब फुलर नाहब वारीसाल गये तब उन्होने अश्विनी बाबू तथा उनके सहकारियोका खुले तौरसे अपमान किया । सरकारको यह दिखलाना था कि जिन अश्विनी वावूपर लोग इतना निर्भर करते है और जिनको वे अपना नेता मानते है उनकी सरकारको निगाहमे कोई कीमत नहीं है और सरकारको शनितो सामने वह एक तिनकेके बराबर है । इसी समय बारीसालमे कान्फरेम हुई थी जिसमें