पृष्ठ:राष्ट्रीयता और समाजवाद.djvu/४२१

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४०८ राष्ट्रीयता और समाजवाद एकताके सम्बन्ध में कोई निश्चय तभी हो सकेगा, जव जर्मनीके विभन्न विभागोंका, जिनमे मित्रराष्ट्रोने जर्मनीको वाँट रखा है, लोप हो जायगा और जव उनके अधिकारका इन विभागोमे अन्त हो जायगा । कम्युनिस्टोका कहना है कि सोशल डेमोक्रेटोके पुराने नेता अभी पुराने झगड़ोको नही भूले है और इसीलिए वह एकताके कट्टर विरोधी है । कम्युनिस्ट यह आशा करते थे कि यदि यह एकता प्रारम्भमें केवल रूसी विभागमे ही स्थिर रूपसे कायम हो जाय,तो यह नयी पार्टी समस्त जर्मनीमे सबसे प्रवल पार्टी होगी। किन्तु हालके चुनावोसे उनकी इस आशापर पानी फिर गया है । वलिनके चुनावका फल यह हुआ है कि सोशल डेमोक्रेटिक पार्टीको ४८.२ प्रतिशत वोट मिले है । इस नयी पार्टीका तृतीय स्थान है और उसको केवल १६.३ प्रतिशत वोट मिल सके है। इसी प्रकार अन्य विभागोमे भी जो अमेरिकन, ब्रिटिश और फ्रेच अधिकारमे है सोशलिस्टोका वहुमत है । सोशलिस्ट युनिटी पार्टीका बहुमत केवल रूसियोद्वारा अधिकृत विभागमे है । इससे इस आक्षेपको पुष्टि मिलती है कि रूसी क्षेत्रमे जो चुनाव हुए है, वे स्वतन्त्रतापूर्वक नही हुए है। चुनावमें अधिकारियोने अपने अधिकारका दुरुपयोग किया है । परिणाम यह है कि रूसी विभागको छोड़कर अन्य विभागोमे जनताने कम्युनिज्मके विरुद्ध अपना मत दिया है और सोशल डेमोक्रेट कम्युनिस्टोके साथ एकता करनेके पक्षमें वह नही है । अत. जव जर्मनीकी एकता स्थापित होगी, तव रूसियोंकी छत्रछायामे काम करनेवाली 'सोशलिस्ट-युनिटी पार्टी की राजनीतिक शक्ति प्रवल न हो सकेगी। हालके चुनाव इसका स्पष्ट संकेत कर रहे है । इसका परिणाम यह भी हो सकता है कि यह देखकर कि अब सोशलिस्ट युनिटी पार्टी द्वारा कार्य सिद्ध नही हो सकता, सोवियत रूस इस संस्थाकी भविष्यमे उपेक्षा करे और जर्मनीमे हर जगह कम्युनिस्ट पार्टीका ही एक मात्र सहारा ले । हम एकताके पक्षमे है, यदि इसका विश्वास हो कि यह एकता स्थायी होगी और कम्युनिस्ट पार्टी आगे चलकर विश्वासघात नही करेगी। किन्तु इस पार्टीका अवतकका इतिहास ऐसा नही रहा है, जिससे हमको ऐसा भरोसा हो सके । मजदूर-आन्दोलनकी एकतासे मजदूर वर्गका बल वढता है इसमे सन्देह नही है । किन्तु ऐसी पार्टीसे क्या आशा की जाय, जो एकताके लिए उसी समय हाथ वढाती है, जब उसको गरज होती है, पर जो अपना मतलब निकल जानेपर किसी समय भी धोखा दे सकती है । इसके उदाहरण इतिहासमे भरे पड़े है । सोशल डेमोक्रेटोको बदनाम करना सुलभ है । किन्तु इसका सारा दोप उन्हीके मत्थे नही मढा जा सकता। जवतक कम्युनिस्ट इस बातका पुष्ट प्रमाण नही देते कि उन्होने अपने रवैयेको सदाके लिए बदल दिया है, तवतक कही भी इन दो दलोमे एकता नही हो सकती । यह दूसरी बात है कि अनुचित दवाव डालकर, जोर- जबर्दस्तीसे, कही-कही दिखाऊ एकता कायम हो जाय । यह ठीक है कि रूसी विभागसे अन्यत्र सोशल डेमोक्रेटोको वहाँके अंग्रेज और अमेरिकन अधिकारियोका सहारा मिला है और यह भी सच है कि इगलैण्डमे मजदूरदलकी जो विजय हुई है, उससे भी सोशल डेमोक्रेटोको अपनी स्वतन्त्रता बनाये रखनेमे सहायता