पृष्ठ:राष्ट्रीयता और समाजवाद.djvu/४२४

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. आस्ट्रिया ४११ वढानेके लिए तो कही ये सिद्धान्त नही घोषित किये गये है ? हमको तो इसमे सच्चाईकी बहुत कमी मालूम होती है । यदि वस्तुत. नीतिमे कोई क्रान्तिकारी परिवर्तन हुए है, तो इनकी घोषणा सर्वत्र क्यो नही की जाती और यह नीति सर्वत्र क्यो नही वरती जाती ? यदि ये सिद्धान्त कम्युनिस्टोको मान्य हो तो एकताके स्थापित होनेमे बहुत देर न लगे। यह नहीं कहा जा सकता कि ये सिद्धान्त मौलिक नही है और विशेप देश या कालमें ही लागू होते है । आजके युगमे इनका व्यापक प्रयोग होनेसे ही सर्वत्र एकता स्थापित हो सकती है । पर कठिनाई तो यह है कि कम्युनिस्ट ऐसी घोषणा करनेसे रहे और इसका भी क्या ठीक कि कव वे अपनी नीति बदल देगे । कम्युनिस्टोकी कलाबाजियोसे हम अच्छी तरह परिचित है । अपनी नीतिमे आकाश-पातालका अन्तर करनेमे इनको कोई परेशानी नहीं मालूम होती। पाकिस्तानके प्रश्नके सम्बन्धमे ही इन्होने कितनी बार अपनी नीतिको वदला है । वस्तुस्थिति नही बदलती पर ये बदलते रहते है और यह पता नही चलता कि आखिर ये किस भूमिपर खडे है । हमारे ही देशमे श्री जयप्रकाशनारायणने इनसे एकता करनेके लिए भगीरथ प्रयत्न किया और कोई वात उठा नही रखी। किन्तु तृतीय इण्टर- नेशनल और रूस तथा पार्टीके भीतर लोकतन्त्रकी व्यवस्थाके प्रश्नको लेकर ही एकता न हो सकी। आस्ट्रिया आस्ट्रियामे सोवियत रूस आर्थिक और राजनीतिक नियन्त्रण प्राप्त करनेके प्रयत्नमे लगा हुआ है। आस्ट्रियाकी वर्तमान सरकार पश्चिमी यूरोपके मित्रराष्ट्रोके पक्षमे है और उसके द्वारा ये राष्ट्र रूसकी नीतिको विफल करनेकी चेप्टामे है । आपसके इस मन- मुटाव और विरोधका कुफल आस्ट्रियाकी जनताको भोगना पडता है और उसकी इस घातक नीतिके कारण ससारकी प्रधान शक्तियोकी मैत्री भी सन्दिग्ध हो जाती है । सन् १९४३ मे मास्कोकी जो घोपणा हुई थी उसके द्वारा ससारकी प्रमुख शक्तियोने आस्ट्रियाकी स्वाधीनताको स्वीकार कर लिया था और यह घोपणा की थी कि आस्ट्रियाके जिस लोकतन्त्रको डालफसने और पीछेसे नाजियोने विनष्ट किया था, उसका पुनरुद्धार करनेके लिए पूरा अवसर दिया जायगा । इस घोषणाके फलस्वरूप चुनाव हुए और डाक्टर फिग्लकी सम्मिलित सरकारको सब शक्तियोने अपनी स्वीकृति दी । आस्ट्रिया- मे सोशलिस्ट पार्टीका बडा तेजीके साथ पुनरुद्धार हुआ और सच तो यह है कि जिन वर्षोमें वहाँ नाजियोका शासन था, सोशलिस्टोका प्रभाव वास्तवमे वढ गया । इन विविध सुविधाप्रोके कारण आस्ट्रियाका पुनरुद्धार वडी सुगमताके साथ हो सकता था। किन्तु ऐसा नही हुआ है। पुरानी अवस्था बहुत धीरे-धीरे वापस हो रही है। अमेरिकन क्षेत्रके कुछ हिस्सोके अतिरिक्त सर्वत्र लोग भूखे है । क्षेत्रोमे विभक्त होनेके कारण मालका १. 'जनवाणी' जनवरी, सन् १९४७ ई०