पृष्ठ:राष्ट्रीयता और समाजवाद.djvu/४२६

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

मिस्रकी राजनीतिक पार्टियाँ ४१३ बहुत कम पूंजी लगी हुई है। वाद-विवादके पश्चात् अन्तमें चार प्रधान राष्ट्रोमें यह समझौता हो चुका है कि राष्ट्रीकरणका प्रोग्राम कानूनका रूप ले लेगा यदि एक मासके भीतर चारो राष्ट्र एक स्वरमे आक्षेप नहीं करते । सच तो यह है कि इन महान् राष्ट्रोके आपसके झगड़ोके कारण गरीव आस्ट्रियाको क्षति पहुँच रही है । हर एक उसको अपना साधन बनाना चाहता है, जब कि सवको केवल आस्ट्रियाको दृष्टिमे रखकर काम करना चाहिये । यह स्पष्ट है कि आस्ट्रियाकी आर्थिक पद्धति डैन्यूबसे बँधी हुई है और इस प्रदेशमे सोवियतका प्राधान्य है । इसी कारण रूसके आथिक दवावके आगे आस्ट्रियाको सिर झुकाना पड़ेगा अथवा उसकी आर्थिक अवस्था विगड जायगी, इस कारण रूस आस्ट्रियाकी सहायता विशेष रूपसे कर सकता है। डैन्यूवके राज्योके साथ व्यापार करनेकी स्थिति पश्चिमी राष्ट्रोकी पहले नही रही है और आज भी नही है । इसके अलावा राजनीतिक दृष्टिसे रूस आस्ट्रियाको अपने साथ रखना चाहता है, क्योकि यूरोपके पश्चिम पूर्व भागकी रक्षा करनेमे आस्ट्रियाका बड़ा उपयोग है । आस्ट्रियाकी प्रधान पार्टियॉ सोशलिस्ट और कैथलिक पीपुल्स दोनो ही सोवियत रूसके पक्षमे नही है । किन्तु वे अन्त तक पश्चिमी समुदायमे तभी रह सकते है जब कार्यरूपमें पश्चिमी राष्ट्र उसके सच्चे सहायक प्रमाणित हो । पर इसकी आशा कम है और यदि रूस चाहे तो उसकी स्थिति ऐसी है कि वह आस्ट्रियाको पूर्ण सहायता दे सकता है। पर यह वह तभी करेगा जब आस्ट्रिया पूर्वी समूहमे शामिल हो जाय । जबतक वह इसके लिए तैयार नही होता, तबतक रूसका आर्थिक दवाव जारी रहेगा और शायद अन्तमें आस्ट्रियाको हार माननी पड़ेगी। मित्रको राजनीतिक पार्टियाँ हमको अपने पडोसी राष्ट्रोका बहुत कम ज्ञान है । यूरोपके इतिहासको जाननेकी इच्छा हममे बडी प्रवल है। वहॉकी राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक स्थितिको जाननेके लिए हम सदा उत्सुक रहते है, किन्तु अपने पडोसी राष्ट्रोमे क्या नवीन आन्दोलन हो रहे है और उनके जीवनमे क्या परिवर्तन हो रहे है इसके जाननेके लिए हममे समान रूपसे उत्सुकता नही पायी जाती। यह सच है कि यूरोपका इतिहास जाननेके लिए पर्याप्त सामग्री है जव कि एशियाके राष्ट्रोका इतिहास जाननेके साधन बहुत कम है । इसमे भी सन्देह नही कि हमारी चेतनाका प्रेरक यूरोप रहा है । पर भविष्यमे हमको अपने पड़ोसियोसे ज्यादा काम पडेगा और इसलिए इस बातकी आवश्यकता है कि हम उनकी भाषा, संस्कृति तथा इतिहासका ज्ञान प्राप्त करे। इस दृष्टिसे हम 'जनवाणी' मे अपने पडोसी राष्ट्रोकी वर्तमान स्थितिका विवरण समय-समयपर दिया करेगे । इस टिप्पणीमे हम मिस्र देशकी राजनीतिक पार्टियोका सक्षिप्त विवरण दे रहे है। .. १. 'जनवाणी' जनवरी, सन् १९४७ ई०