४१६ राष्ट्रीयता और समाजवाद पासाने गत २८ सितम्बरको त्यागपत्र दे दिया था और नोकराणी पाशाने इस प्रश्नको यू० एन० ओ० के सम्मुख पेश करनेका निश्चय किया है। यदि इनको अब अंग्रेजोके लिए वफ्दका भय न हो तो शायद यह इस प्रश्नपर समझौता कर लेते। एक ही रास्ता है कि वपदके नेता नहास पाशासे बातचीत करें। यह तो स्पष्ट है कि उनको अपनी गर्ते कुछ बदलनी होगी। वपदके नेताओंको ऐसा कोई भय नहीं है जैसा कि नौकराणी पाशाको था । इनको तो अपने वामपक्षसे भय है किन्तु अभी कदाचित् 'वपद' के दक्षिणपक्षी नेता अपने अनुयायियोको अपने साथ कुछ दिन और रख सके यदि अंग्रेज इनको पहलेकी अपेक्षा अच्छी शर्ते दे सके। सुदानको मिस्रमें अंग्रेज मिलाना नही चाहते । किन्तु यदि मित्रसे कोई समझौता होना है तो सुदान-सम्बन्धी नीतिमें कुछ-न-कुछ परिवर्तन करना ही पड़ेगा। कहा जाता है कि कुछ महीने पहले अंग्रेजोकी अोरसे निम्नलिखित शर्ते नहासको दी गयी थी- (१) अंग्रेजी सेना दो वर्पमे मिस्रको खाली कर देगी, (२) रक्षाके लिए अग्रेज और मिस्रियोंका एक सम्मिलित वोर्ड होगा, (३) उत्तरी सुदान मित्रका प्रभावक्षेत्र होगा और दक्षिणी सुदान अंग्रेजोका । पता नही कि यह समाचार कहाँतक सत्य है । किन्तु यदि ऐसी कोई वातचीत हुई है तो यह नही मालूम है कि नहासने इसका क्या उत्तर दिया । वह भी अपने वामपक्षसे भयभीत होगे। जिस आधारपर मिस्त्रका अंग्रेजोंसे समझौता हो यह स्पष्ट है कि वह तभी स्थायी हो सकता है जब 'वपद' उसको स्वीकार करे । यदि 'वफ्द' का अंग्रेजोसे कोई समझौता हुआ जो 'वपद'के वामपक्षको स्वीकार नही है तव 'वपद' पार्टी में भेद होनेका भय है । हो सकता है कि उस समय वपदके दो टुकड़े हो जायँ और उसके वामपक्षका स्वतन्त्र संगठन हो । किन्तु आजकी अनिश्चित अवस्थामें कुछ कहा नहीं जा सकता। आनेवाले महीनोमे स्थिति स्पष्ट होगी जब अंग्रेज 'वपद' के नेताओंसे बातचीत करेगे।' फिलिस्तीन और भारत फिलिस्तीनमें यहूदियो और अरवोका झगड़ा एक अरसेसे चल रहा है । दोनो ओरके विप्लवकारियोने फौजी संगठन तैयार किये है । इनमें यहूदियोंके सगठन अधिक मजबूत और कार्यकुशल है । यहूदियोके सगठनोके नाम Irgun और Noganab है । अरवोने इनके जवावमे दो संगठन तैयार किये है, यह 'निजात' और फतवा' नामसे प्रसिद्ध है । दोनो संगठनोमे कुल मिलाकर मुश्किलसे १०,००० नवयुवक होगे । इनके पास हथियार हैं और यह फौजी वर्दी खुलेयाम पहनते है, यद्यपि कानूनके अनुसार फिलिस्तीनमे कोई भी व्यक्ति ऐसा कपड़ा नही पहन सकता जिसके सम्बन्धमे विदेशी वर्दी होनेका शक किया जा सके । एक दूसरे कानूनके अनुसार विना लिखित आज्ञाके कोई भी व्यक्ति खुलेतौरपर ऐसा कोई कपड़ा नही पहन सकता और ऐसा कोई विशिष्ट चिह्न धारण नही कर सकता जो १. 'जनवाणी' फरवरी, सन् १९४७ ई०
पृष्ठ:राष्ट्रीयता और समाजवाद.djvu/४२९
दिखावट