पृष्ठ:राष्ट्रीयता और समाजवाद.djvu/४२८

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मित्रकी राजनीतिक पार्टियाँ ४१५ ख्याल है कि कम्युनिस्ट विचारोके फैलनेके कारण यह स्थिति दिनपर दिन विगडती जायगी। इस वढती हुई वेचैनीका मुकाबला करनेमे वह अपनेको कमजोर पाते है और इसलिए वह इंगलैण्डका सहारा ढूंढ़ते है । वादशाह फारुक स्वयं अंग्रेजोके बड़े विरोधी है, किन्तु अपने स्वार्थोकी रक्षाके लिए उनको अग्रेजोका मुँह ताकना पड़ता है । अग्रेज स्थिर स्वार्थोके रक्षक समझे जाते है । उन्होंने आखिर युनानमें उसके वादशाहको लाकर वैठा ही दिया । जनताकी वढती शक्तिका अवरोध करनेके लिए इन छोटे-छोटे देशोके राजाओ और अमीरोको इंगलैण्डका आश्रय लेना पड़ता है। पूंजीपतियों और जमीदारोकी इन पार्टियोंके विरुद्ध लोकप्रिय 'वपद पार्टी है । यदि चुनावके समय किसानोंको स्वतन्त्र छोड दिया जाय तो किसी चुनावमे भी वफ्दको सुगमतासे कम-से-कम ६० प्रतिशत वोट मिल सकते है । सन् १९१९ से यही दल अधिकाश मिस्रियोके राष्ट्रीय भावोको व्यक्त करता रहा है । गाँवोमे किसी और दलोका प्रवेश भी नही हुआ है, इसके प्रमुख व्यक्तियोमे भी जमीदार और कुछ पूंजीपति है । जमीदार तो अंग्रेजोका इसलिए विरोधी है, क्योकि अग्रेज रुईकी कीमत गिरा देता है, रुईकी खरीदपर उसका एकाधिपत्य है और सुदानमें रुईकी जो खेती होती है वह आधुनिक ढगसे होती है और उसपर अंग्रेजका एकमात्र अधिकार है । रुईकी फसल ही मिस्रकी खास फसल है और यदि रुईकी कीमत अच्छी न मिले तो जमीदारको असन्तुष्ट होनेका पर्याप्त कारण है। जो थोडे-बहत व्यवसायी वफ्द पार्टीमे है उनका विचित्र हाल है। प्रारम्भमे वह वपदमें सम्मिलित होते है क्योकि वह अग्रेजोके विरुद्ध है, किन्तु जव वफ्दकी नीतिका झुकाव जनता की ओर अधिक होता है तव वह भयभीत होकर पार्टी छोड़ देते है और एक नयी पार्टीको जन्म देते है या किसी दलमे सम्मिलित नहीं होते। 'वपद' के इस पक्षको हम 'वफ्द' का दक्षिण पक्ष कह सकते है, किन्तु 'वफ्द' का एक वाम पक्ष भी हे और वही उसकी जान है । इसमे मजदूर, नवयुवक, विद्यार्थी और उदार विचारके शिक्षित लोग शामिल है । इस पक्षके प्रभावसे 'वफ्द' पार्टीके उद्देश्य केवल राजनीतिक नहीं है, किन्तु सामाजिक भी होते जाते है । दक्षिण पक्षी इस प्रभावको बढनेसे रोकते है । वपदके जो नेता जमीदार है वह किसानो और मजदूरोको केवल साधारण रियायतें देना चाहते है, किन्तु किसी मौलिक सुधारके लिए तैयार नहीं है । वामपक्षी मिस्रकी स्वाधीनताके साथ-साथ जनताको आर्थिक स्थितिमे पर्याप्त सुधार करना चाहते है और वेकारीको दूर करना चाहते है, इस पक्षको कभी-कभी स्वतन्त्र रीतिसे भी कार्य करना पडता है । गत वर्ष मजदूर और विद्यार्थियोकी एक कमेटी बनी थी जिसने देशकी पूर्ण स्वाधीनता और कर्मचारियोके लिए अधिक वेतनका नारा देकर देशव्यापी हड़ताल करना चाहा था। समझौतेकी जो वातचीत इंगलैण्ड और मिस्रके बीच चल रही थी वह फिलहाल वन्द हो गयी है । सुदानके सवालपर कोई समझौता नहीं हो सका है । वपदका इतना जोर है कि पूंजीपतियोकी पार्टीको इस प्रश्नपर समझौता करनेका साहस नहीं होता। सिदकी