पृष्ठ:राष्ट्रीयता और समाजवाद.djvu/४६६

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पूंजीवादी समाज और प्रेस ४५३ क्षेत्रमे प्रवेश करते है । इङ्गितोसे जनताके विचार कैसे मोड़े जा सकते है और उनके भावोका उद्रेक कैसे हो सकता है इस शास्त्रमे वे व्युत्पन्न होते है और राजनीतिमे वह अपने मानव-ज्ञानका उपयोग करते है । अपने विज्ञापनदातासोका भी इनको लिहाज करना पडता है, क्योंकि इनकी आयका मुख्य स्रोत विज्ञापन ही है । समाचार-पत्रोके क्षेत्रमे भी एकाधिकार होता जाता है । आजका युग पूंजीके एकाधिकारका है, फिर पत्रोका व्यवसाय इससे कैसे बच सकता था ? इगलैण्डके 'प्रेस मैगनेट' कुछ थोडेसे पनोसे सन्तुष्ट नहीं है। उन्होने स्थानीय पत्रोपर भी धावा बोल दिया है । पत्न-व्यवसायियोके गटोने स्थानीय पत्रोमेसे वहुतोंको खरीद लिया है। सबकी नीति लन्दनसे निर्धारित होती है । आज केम्जले (Kemsley) प्रेसका वोलवाला है । जहां जाइये वही आपको इसका पत्र मिलेगा। यही अवस्था अमेरिकामे होती जाती है । अभी हालमे वहाँकी सिनेटने एक कमेटी नियुक्त की थी। उसकी रिपोर्ट है कि १९४१-१९४४ मे केवल २ प्रतिशत फर्मोमे मजदूरोकी पूर्ण संख्याका ६२ प्रतिशत काम करता रहा है और बड़े-बड़े व्यवसायियोका प्रेसपर अधिकार वढता जाता है। रिपोर्टमे कहा है कि "स्वतन्त्र रूपसे आलोचना तथा अनुसन्धानका होना तथा विविध दृष्टियोका स्वच्छन्द रूपसे व्यक्त होना लोकतन्त्रके लिए आवश्यक है । अत: हमको इस बातसे चिन्ता है कि (१) हमारे नागरिक प्राय एक ही दैनिकपत्र खरीद सकते है और (२) बहुतोके लिए यह पत्र ही पत्र-लड़ीकी दृष्टि पाठकोके सम्मुख उपस्थित करते है। यद्यपि समाचार-पत्रोकी विक्री क्रमश वढी है तथापि अमेरिकामे पत्रोकी संख्या विगत ३० वर्षोमे तेजीसे घटी है । अव हुत कम समुदाय ऐसे है जिनके समाचारोका एकसे अधिक विवरण प्राप्त हो । "अन्तत: समाचारोके संग्रह करनेका काम केवल तीन प्रेस-सविसोके हाथ मे है और पत्न-प्रकाशकोने रेडियो-क्षेत्रपर भी आक्रमण कर दिया है । सन् १९०६ मे लगभग २६०० दैनिक पत्र थे और २ करोड ४२ लाख प्रतियोकी विक्री थी । सन् १९३२ मे दैनिक पत्रोकी संख्या घटकर १७८६ हो गयी, किन्तु उनकी विक्रीकी सख्या लगभग दुगुनी अर्थात् ४ करोड़ ३४ लाख हो गयी । आजतक इसी प्रकार पत्रोकी सख्याका ह्रास तथा विक्रीकी सख्यामे वृद्धि होती गयी है ।" रिपोर्टमे आगे चलकर यह भी कहा गया है कि पत्र-लडियो द्वारा नियन्त्रित पत्रोकी सख्याका अनुपात तेजीसे बढ़ रहा है । सन् १९४० मे इनके नियन्त्रणमे समस्त विक्रीका ४० प्रतिशत था और केवल १८१ ऐसे नगर थे जहाँ एकसे अधिक पन्न पाये जाते थे जिनकी आपसमे होड़ थी; तथा ८८ प्रतिशत अमेरिकनोकी वस्तियोको केवल एक ही पत्न नसीव होता था और इस प्रकार एक ही दृष्टि उनके सामने उपस्थित की जाती थी। एकाधिकारके युगमे प्रवल पूंजीवादी राष्ट्रोंका यही हाल है । किन्तु ये राष्ट्र लोकतन्त्र- के भी समर्थक है, चाहे यह लोकतन्त्र पूंजीवादी ही क्यो न हो । अत. इन देशोके विचारशील व्यक्ति इस अवस्थाको देखकर लोकतन्त्रके भविप्यके सम्बन्धमे बहुत चिन्तत हो गये है । उनका कहना है कि यदि लोकतन्त्रको विकृत होनेसे बचाना है तो प्रेसके सम्बन्धमे