पृष्ठ:राष्ट्रीयता और समाजवाद.djvu/४८२

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महात्मागांधीको श्रद्धाञ्जलि ४६६ जायगा। पैदावार तेज रफ्तारसे वढेगी । देहातोकी आज जो खराव हालत है, वह दूर हो जायेगी और अर्थ-शोपणकी नीतिका अन्त होगा। महात्मा गांधीको श्रद्धाञ्जलि कल हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गान्धीने, जो आजके इस युगके सबसे बडे महापुरुष थे, अपने जीवनकी अन्तिम लीलाको समाप्त किया । आज दिल्ली शहरमे शामके ४ बजे यमुना नदीके तटपर उनका महाप्रस्थान होनेवाला है । वह हमारे मार्ग-प्रदर्शक थे । उन्होने हमको जीवनके आध्यात्मिक और समाजिक मूल्योकी शिक्षा दी । भारतवर्षकी प्राचीन संस्कृतिको परिष्कृत कर उस पुरानी ज्योतिको फिरसे जगाया। भारतीय समाजके करोडो निश्चेष्ट और निष्प्राण मानवोके हृदयोमें जीवनको एक नयी ज्योति जगायी, जिसने हमको स्वतन्त्रता प्रदान की। वह मशाल जिसको कि प्राचीन कालके ऋषियोने इस पुण्य-भूमिमे प्रज्वलित किया था, जिसको भगवान् बुद्धने फिरसे जगाया, जिसको समय-समयपर महापुरुषोने आकर, जगाकर भारतवर्पकी अखण्ड सम्पत्तिकी रक्षा की, उसी मशालको फिरसे जलाकर और हमारे जीवनमे एक नयी ज्योति, एक नयी स्फति, एक नया चैतन्य प्रदानकर वही मशाल हमारे कमजोर हाथोमे सौपी थी और जब उन्होने अपने सामने उस मशालको हमारे कमजोर हाथोसे जमीनपर गिरते देखा तो हमारे हाथोको वल देनेके लिए अपना सहारा दिया। वह महापुरुष, हमारे राष्ट्र की सबसे बडी सम्पत्ति अाज उठ गयी, आज हमसे छिन गयी है । हम अाज अपनेको निराश्रित निस्पाय और निरवलम्ब पा रहे है । वह हमारा दीपक आज वुझ गया । चारो ओर अन्धकार है । सारा भारतीय समाज शोकमे निमग्न है। ऐसे अवसरपर हममे कातरताका आना स्वाभाविक है। इस रंजको घडीमे मुझे अपने देशके इतिहासका वह अवसर स्मरण हो पाता है जब हमारे देशका एक महापुरुष, नहीं-नही सारे ससारका महापुरुष, अर्थात् भगवान् बुद्धने- जब वह अपना शरीर छोड रहे थे-भारतीयोको एक अनुपम शिक्षा दी थी। उस अवसरपर हमारे प्रान्तके कुशीनगरमे जब भगवान् वुद्ध मृत्युशय्यापर पडे थे तो अपने पास अपने प्रिय शिष्य आनन्दको न देखकर उन्होने भिक्षुग्रोसे पूछा कि आनन्द कहाँ है ? भिक्षुग्रोने कहा-"भगवान् आनन्द वाहर खड़ा रो रहा है ।" उन्होने कहा-"उसको बुलाओं" । वह भगवान्के सम्मुख पाया। भगवान्ने कहा-“हे अानन्द, क्यो रोते हो?" उसने कहा, "ससारका दीपक बुझ रहा है, ससार अन्धकारसे आच्छन्न होनेवाला है । आपकी अनुपस्थितिमे हम निरवलम्व हो जायेंगे । हमे उपदेश देनेवाला, हमको ससार- चक्रसे उबारनेवाला कौन होगा ?" भगवान्ने कहा- "हे आनन्द, तुम हमारी उस शिक्षा- को क्यो भूल गये ? क्या हमने तुम्हे वार-बार यह नही सिखाया कि जो उत्पन्न होता है उसकी मृत्यु अवश्यम्भावी है ? हमने तुम्हे क्या यह नही बताया कि तुम अपने पैरोपर