भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलनका इतिहास ३६ शासन-विधानमें मुसलमानोका क्या स्थान होगा, इस विषयपर विचार किया गया । काग्रेसने सरकारकी वेरुखीको देखकर शक्तिको हर तरहसे बढ़ानेका सकल्प किया । स्वराज्य-पार्टीके समझौतेके लिए उद्यत होनेपर भी तथा सहयोगका वचन देनेपर भी जब सरकारने राष्ट्रीय मांगकी सर्वथा उपेक्षा की और इस प्रकार राष्ट्रका अपमान किया तो कांग्रेसने हिन्दू-मुसलिम तथा सर्वदल एकता द्वारा राष्ट्रकी शक्तिको वढानेका निश्चय किया । गोहाटी काग्रेसने हिन्दू-मुस्लिम वैमनस्य दूर करनेके लिए उचित उपायोंके निर्धारित करनेका वर्किङ्ग कमेटीको आदेश किया । वर्किङ्ग कमेटीने हिन्दू-मुस्लिम एकता स्थापित करनेकी दृष्टिसे हिन्दू-मुस्लिम नेताअोसे परामर्श कर एक रिपोर्ट तैयार की और अखिल भारतवर्षीय-काग्रेस कमेटीने मई १९२७में इस रिपोर्टको स्वीकार किया। नवीन शासन-विधानमे मुसलमानोका क्या स्थान होगा, इसी सम्बन्धमे यह निश्चय हुआ था। गोवध तथा बाजेके प्रश्नपर विचार करनेके लिए कलकत्तेमे अक्तूबर १९२७मे एकता सम्मेलन हुआ था। इस सम्मेलनके निर्णयोंको काग्रेस कमेटीने कुछ संशोधनोके साथ स्वीकार किया। अखिल-भारतवर्षीय काग्रेस कमेटीने भिन्न-भिन्न राजनीतिक दलोके नेताओं तथा केन्द्रीय और प्रान्तीय व्यवस्थापक सभायोके निर्वाचित सदस्योसे परामर्श कर भारतके लिए एक शासन-विधान तैयार करनेके लिए आदेश किया था। जब कांग्रेस इन प्रयत्नोमे लगी थी, सरकारने सुधारोकी जाँच तथा भविष्यके लिए सिफारिश करनेकी गरजसे साइमन कमीशनकी नियुक्ति की। इस कमीशनमे एक भी भारतवासी नही रक्खा गया । इस कारण लिवरल दलके लोग असन्तुष्ट हो गये और उन्होने कमीशनके साथ असहयोग करनेका निश्चय किया । काग्रेस भी सरकारके इस निर्णयसे ग्रप्रसन्न थी, क्योकि सरकारने राष्ट्रीय मांगकी अवहेलना की थी। राष्ट्रकी माँग गोलमेज परिषद्द्वारा शासन-विधान तैयार करानेकी थी, पर सरकारने गोलमेज कानफरेन्स आमन्त्रित न कर रायल कमीशन की नियुक्ति की थी। काग्रेसकी वर्किङ्ग कमेटीने नवम्बर १९३०मे इसलिए सव राजनीतिक दलोसे अपील की कि वह इस कमीशनसे असहयोग करे और उसके सामने न शहादत दे और न किसी ऐसी सिलेक्ट कमेटीकी सदस्यता स्वीकार करे जो इस कमीशनके सम्बन्धमे स्थापित की जावे। दिसम्बर मे कमीशनके बहिष्कारके सम्बन्धमें वर्किङ्ग कमेटीने कई सूचनाएँ निकाली । इस प्रकार वहुत वर्षोके वाद भारतके विविध राजनीतिक दलोको एक साथ काम करनेका मौका मिला । साइमन कमीशनका सव दलोने विरोध किया। जिस दिन साइमन कमीशनके सदस्योने भारत- भूमिपर पैर रखा उस दिन सारे भारतमे हडताल मनायी गयी । जहाँ-जहाँ साइमन कमीशनका पदार्पण हुआ वहां-वहाँ विरोधमे जुलूस निकाले गये और काले झण्डे दिखलाये गये। जिस प्रकार मिस्त्रियोने मिलकर कमीशनका वहिष्कार किया था उसी प्रकार भारतवासियोने साइमन कमीशनका बहिष्कार किया। पुलिसने जगह-जगह जुलूसोंपर लाठीका प्रहार किया। काग्रेसके प्रतिष्ठित नेता भी पुलिसके इस अमानुषिक अत्याचारसे न बच सके । लाहौरमे लाला लाजपतराय, तथा लखनऊमे पं० जवाहरलाल नेहरू और पं० गोविन्द वल्लभ पंत ऐसे बड़े नेताअोपर भी पुलिसने लाठीका प्रहार किया। सरकारी
पृष्ठ:राष्ट्रीयता और समाजवाद.djvu/५२
दिखावट