पृष्ठ:राष्ट्रीयता और समाजवाद.djvu/५६

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भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलनका इतिहास ४३ देशपर बहुत गहरा प्रभाव पड़ा और इस आत्माहुतिसे जनताका ध्यान राजनीतिक कैदियोंकी दुरवस्थाकी ओर आकृष्ट हुअा। अन्तर्राष्ट्रीय जगत्मे काग्रेसका महत्व और प्रभाव बढ़ने लगा। लन्दन, न्यूयार्क, कोवे और गोग्रामे काग्रेस कमेटियाँ कायम हुई । काग्रेसके विदेशी विभागने भारतके वाहरकी संस्थानोसे सम्बन्ध स्थापित करना शुरू किया, पर डाकके रोके जानेके कारण इस कार्यमे वड़ी अड़चन पड़ी । सवकी निगाहे लाहौर काग्रेस (१९२६) पर थी। ३१ अक्तूबर, १९२९को लार्ड अरविनने एक वक्तव्य प्रकाशित किया, जिसमे उन्होने इस वातकी घोपणा की कि सरकारका ध्येय भारतमे औपनिवेशिक स्वराज्य स्थापित करना है, और इस वातकी सूचना दी कि लन्दनमे गोलमेज परिषद होगी जिसमे भारतके प्रतिनिधि आमत्रित किये जावेगे। इस वक्तव्यके सम्बन्धमे पार्लमेण्टमे जो वाद-विवाद हुआ था उस अवसरपर कुछ सदस्योंने वायसरायकी घोषणाको स्पष्ट कर देनेके लिए भारत-सचिवसे प्रार्थना की थी, पर भारत-सचिवने वक्तव्यका स्पप्टीकरण नही किया । इस वाद-विवादमे भाग लेते हुए मजदूर-दलके नेताग्रोने जो भाषण किये थे उनका सारांश यही है कि यह वक्तव्य किसी नवीन नीतिका प्रख्यापन नहीं करता । २० अगस्त १९१७ की घोषणाके आशयके सम्वन्धमे कुछ लोगोको सन्देह हो गया था। उस सन्देहका निराकरण करनेके लिए ही वायसरायने यह वक्तव्य प्रकाशित किया है । वह केवल पुरानी नीतिका स्पष्टीकरण मात्र है । इस वाद-विवादसे वक्तव्यका मूल्य और भी कम हो गया। वक्तव्यका अर्थ ठीक-ठीक समझनेके लिए महात्माजी, पं० मोतीलाल नेहरू, डा० सपू, श्री विठ्ठलभाई पटेल और श्री जिन्ना २३ सितम्बर १९२९को दिल्लीमे वायसरायसे मिले । इस मुलाकातमें महात्माजीने वायसरायसे यह आश्वासन चाहा कि ब्रिटिश मत्रिमण्डल औपनिवेशिक स्वराज्यकी योजनाका समर्थन करेगा । वायसरायने महात्माजीको किसी प्रकार आश्वासन नहीं दिया इसलिए इस मुलाकातका कोई नतीजा न निकला । अब काग्रेसके सामने कलकत्ता काग्रेसके प्रस्तावको कार्यान्वित करनेके सिवाय दूसरा कोई रास्ता नहीं रह गया । अत. लाहौरकी काग्रेसने यह निश्चय किया कि वर्तमान परिस्थितिमे प्रस्तावित गोलमेज परिपर्दो काग्रेसके प्रतिनिधियोके जानेसे कोई लाभ नही है, इसलिए कांग्रेस गतवर्पके निश्चयके अनुसार यह घोपित करती है कि काग्रेस विधान-पत्रकी धारा १ में वर्णित 'स्वराज्य' शब्दका अर्थ 'पूर्ण स्वाधीनता' होगा; काग्रेस यह भी घोषित करती है कि नेहरू कमेटीकी रिपोर्टकी पूरी योजना अव रद्द हो गयी अोर आशा करती है कि काग्रेसके सव सदस्य आगेसे पूर्ण-स्वाधीनता प्राप्त करनेके लिए अपनी सारी शक्ति लगायेगे। काग्रेसने व्यवस्थापक सभाअोके बहिष्कार करनेका भी निश्चय किया और व्यवस्थापक सभाप्रोके काग्रेसी सदस्योंको अपनी जगहसे हट जानेका आदेश दिया। कांग्रेसने रचनात्मक कार्यक्रमको उत्साहके साथ चलानेका राष्ट्रसे अनुरोध किया और भारतीय काग्रेस-कमेटीको यह अधिकार दिया कि जब वह उचित समझे तव सत्याग्रह आन्दोलनका प्रारम्भ करे । वर्किङ्ग कमेटीने २६ जनवरी सन् १९३०को पूर्ण स्वराज्य दिवस मनानेका निश्चय किया। इस निश्चयके अनुसार देशभरमे पूर्णस्वराज्य दिवस