पृष्ठ:राष्ट्रीयता और समाजवाद.djvu/५७

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राष्ट्रीयता और समाजवाद बड़े समारोहके साथ मनाया गया । स्थान-स्थानपर सभा की गयीं और वकिल-कमेटी- द्वारा प्रकाशित घोषणा पढ़ी और दुहरायी गयी । भारतके बाहर भी जहाँ नाही भारतवासी वसे है, वहाँ भी पूर्ण स्वराज्य दिवसका उत्सव मनाया गया । काग्रेसके आटेगके अनुसार व्यवस्थापक सभाअोके १७२ सदस्योने मदस्यतागे त्याग-पन्न दे दिया। फरवरी मन् १९३०मे वर्किङ्ग कमेटीकी एक बैठक सावरमतीमे हुई और उसके प्ररतावानुसार गरकान्त साथ सत्याग्रहके युद्धका प्रारम्भ हुया । यह युद्ध अभीतक समाप्त नहीं हुया है । सरकारके साथ काग्रेसकी विरामसन्धि हो गयी है, लेकिन यदि आपसके समक्षीतेने समस्या हल न हुई तो फिर युद्ध चलने लगेगा । सत्याग्रहके इस अान्दोलनका इतिहाग तिखनेका समय अभी नहीं पाया है, लेकिन उसके महत्त्वको देखते हुए पीर तिहानके चित्रको अद्यावधि पूरा करनेके उद्देश्यसे आजतककी घटनाग्रोका सक्षेपमें नीचे उत्लेख किया जाता है। इस युद्दमे देणने अहिंसा और आत्म-बलिदानका अपूर्व परिचय दिया। कमसे कम अस्सी हजार आदमी जेलोमे गये और एक हजार मारे गये । स्त्रियोका भाग विशेष उल्लेखनीय रहा, और वच्चोकी वानरसेना तो मशहूर ही हो गयी । बम्बईने भी सरकारफे अनवरत होनेवाले प्रहारोफे सामने अटल रहकर अपनी वीरताका विगेप परिचय दिया । अस्तु, साबरमतीमे वर्किङ्ग कमेटीकी जिस बैठकका ऊपर जिक्र किया गया है उसमें सत्यायहके सम्बन्धमे जो प्रस्ताव स्वीकृत हुअा था उसका ग्राणय ऽम प्रकार है वर्किङ्ग कमेटीकी रायमें सत्याग्रह-आन्दोलनका प्रारम्भ और नियन्त्रण उन्ही लोगो द्वारा होना चाहिये जिनकी अहिंसामे पूर्ण निष्ठा और श्रद्धा है और जो अहिंसाद्वारा ही पूर्ण स्वराज्यको प्राप्त करना चाहते है । और चंकि कांग्रेसके संगठनमें ऐसे लोग भी पाये जाते है जो अहिंसाको नीतिके रूपमें ही स्वीकार करते है, इसलिए वर्किङ्ग कमेटी महात्माजी और उनके सहकारियोको इस वातका अधिकार देती है कि वे जब, जिस स्पर्म और जिस प्रकारमे चाहे सत्याग्रह-यान्दोलन प्रारम्भ करें। वकिंग-कमेटी विश्वास करती है कि जव अान्दोलनका समारम्भ होगा तब काग्रेसके सदस्य तथा दूसरे लोग सत्याग्रहियोके साथ पूरा सहयोग करेंगे और उत्तेजना मिलनेपर भी पूर्ण रूपसे अहिंसात्मक बने रहेगे । वर्किङ्ग कमेटी यह भी आशा करती है कि ग्रान्दोलनके सार्वजनिक होनेकी अवस्थामे वे लोग जो सरकारके साथ सहयोग करते है या सरकारसे कुछ लाभ प्राप्त करते है वे सव सहयोग करना बन्द कर देंगे और उन लाभोका परित्याग कर स्वतन्त्रताके इस अन्तिम संग्राममें सम्मिलित हो जायेंगे । वर्किङ्ग कमेटी विश्वास रखती है कि नेताअोके गिरफ्तार हो जानेपर जो लोग वच जायँगे उनमेंसे जिनमे आत्म-त्याग और देशसेवाका भाव होगा आन्दोलनका संचालन करेगे । सत्याग्रह आन्दोलन प्रारम्भ करनेके पूर्व महात्माजीने दूसरी मार्चको वायसरायके नाम एक पत्र भेजा । समझौतेका यह अन्तिम प्रयत्न था । इस पत्रमे महात्माजीने ब्रिटिश शासनकी बुराइयोका उल्लेख किया और यह निवेदन किया कि यदि वायसराय इन बुराइयोको दूर करनेका कोई इलाज नहीं निकालेगे तो मैं अपने आश्रमके साथियोको लेकर नमक-सम्बन्धी कानून तोड़नेके लिए आश्रमसे बाहर निकलूंगा । वायसरायका