पृष्ठ:राष्ट्रीयता और समाजवाद.djvu/९४

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अभिभाषण ८१ . करते है । वह समझते है कि युद्धसे उनकी कठिनाइयाँ दूर हो जायेंगी, किन्तु ऐसा होनेका नही। पिछले युद्धने ससारको दो टुकडोमे वाँट दिया है-सोवियट रूस तथा पूंजीवादी संसार । एक समाजवादका प्रतिनिधि है तो दूसरा पूंजीवादका । इस बँटवारेने ही समाजवाद बनाम पूंजीवादके प्रश्नको ससारका मुख्य प्रश्न बना दिया है । अगला युद्ध पूंजीवादको और भी दुर्वल कर देगा और समाजवादी दुनियाका क्षेत्र और भी अधिक विस्तृत हो जायगा । कई देशोमे पूंजीवादका अस्तित्व ही खतरेमे पड जायगा । यह त्यूल सत्य पूंजीवादी राष्ट्रोकी समझमे नही आता और वह एक विश्वव्यापी युद्धको सन्निकट लानेकी कोशिशमे लगे हुए है । युद्धके बादल चारो ओर मँडरा रहे है । जो राष्ट्र सम्पन्न और तृप्त है वह युद्धको टालनेके प्रयत्नमे है और जो अतृप्त है वह युद्धको छेडनेके मनमूवे बाँध रहे है । स्थिति काफी अनिश्चित और भयावह है । ससारकी प्रगतिशील शक्तियां यदि सम्मिलित चेप्टा करे तो वह इस युद्धको कुछ कालके लिए अवश्य टाल सकती है । सन् १९१४ की अपेक्षा ऐसी शक्तियाँ इस समय कही अधिक शक्तिशाली है । पहले तो सोवियट रूसका अस्तित्व ही प्रगतिशील शक्तियोको काफी प्रोत्साहन देनेवाला है। फिर आर्थिक सकटके कारण निम्न-मध्यम-श्रेणी तथा विविध पेशेके लोग और किसान भी आज दुखी है और वह अपने दुखोसे छुटकारा पानेके लिए अधिकाधिक मजदूरोके साथ सहयोग कर रहे है । इस प्रकार कई देशोमे सामान्य जनताके विविध समुदायोका एक सयुक्त मोर्चा बन गया है जो फैसिज्म और युद्धका विरोध कर रहा है। उपनिवेशोके अधिवासी भी साम्राज्यवादसे छुटकारा पानेके लिए स्वतन्त्रताके सग्राम- को आगे बढा रहे है । वह भी फैसिज्मके विरुद्ध है, क्योकि फैसिज्मसे उनको भी भय है । इटली अवीसीनियाके युद्धने इस वातको स्पप्ट कर दिया है । सव उपनिवेशोकी सहानुभूति इस युद्धमे उसी प्रकार अवीमीनियाके साथ थी जिस प्रकार सोवियट रूस और ससारकी मजदूर जमातकी । यह सव शक्तियाँ यदि सगठित हो जाये और अपनी पूरी शक्ति लगा देंतो फैसिस्ट पाक्रमण अव भी रोका जा सकता है । पहला काम इस आक्रमणका मुकावला करना है । यदि इस प्रयत्नमे प्रगतिगील शक्तियाँ सफल हुई तो उनको अपने उद्देश्य से पूरा करनेकी शक्ति प्राप्त हो सकेगी। आज फैसिस्ट आक्रमण स्पेनकी गवर्नमेटके विरुद्ध चल रहा है। फैसिस्ट राष्ट्र- विद्रोहियोकी सहायता कर रहे है किन्तु हस्तक्षेप न करनेकी नीतिके कारण गवर्नमेटको लडाईका सामान नहीं मिलता है । स्पेनकी जनता वडी वहादुरीके साथ शत्रुम्रोका मुकावला कर रही है, पर अब तक गवर्नमेटको हारपर हार खानी पड़ी है। मैड्रिड शनुमोके हाथ आनेवाला है । आश्चर्य है कि अवतक किस प्रकार वहाँकी गवर्नमेट पराजित नही हुई है । स्पेनके भाग्यके निपटारेपर वहुत कुछ निर्भर करता है। इस गृह-कलहका जो भी परिणाम हो इसमे सन्देह नही कि स्पेनकी जनताको कुचलना कोई सरल काम नही है। साथ-साथ उपनिवेशोमे क्रान्तिकी लहर उठ रही है । जो देश इटली अवीसीनियाके युद्धक्षेत्रके समीपके थे उन्होने अपनी स्वतन्त्रताके लिए एक प्रयत्न किया। मिस्रसे ६