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भावार्थ रू० ४१-- चार भागों को पूर्ण कर शाह ने तीस अफ़सर नियुक्त किये जिनके साथ विश्व में अभिमानी आलम खाँ, निर्वासित उजबक खाँ, उपनायक छोटा मारूफ और पहलवान दुस्तम खाँ थे । शाह ने अपने इन सैनिकों के साथ ( या अपनी सेना लेकर) हिंदुओं पर कठिन चढ़ाई कर दी है। शोर मचाते हुए उसने अपनी सेना को आगे बढ़ाया है और इस प्रकार चिनाब नदी पार की है।" [दूत की यह वार्ता सुनकर ] साँभल के शूर, सामंतों के स्वामी और श्रेष्ठ वीर (पृथ्वीराज ) का क्रोध फूट पड़ा ।

रू० ४२ – सब सामंत क्रोधित हो उठे और पृथ्वीराज रोष (क्रोध) से भर गये । इस अरसे तक चंद पुंडीर ने गोरी की सेना को डटकर रोका।

शब्दार्थ - रू० ४१ - तभा <फा०(तमाम ) = पूरा, कुल । वौ=चार | साहि<शाह (गौरी) । [ रासो की कुछ प्रतियों में “चौ' के स्थान पर 'तो' पाठ भी मिलता है । गोरी की सेना के पाँच भाग थे और चार का वर्णन हो चुका है अत: 'च' पाठ अधिक उचित होगा । ह्योनले तथा ग्राउज़ ने भी यह पाठ स्वीकार किया है ] । रषि = रखकर तीस प्रा० तीसा, तीस सं० त्रिंशत् । फिरस्ते < फा० = = देवदूत या दूत । निरस्ते निर्वासित | गुमान फा० ७-३ राय, विचार । आलम <०७ संसार । आतम गुमान - संसारका गर्व; विश्व में सबसे अधिक अभिमानी | लहु < लघु छोटा । गुमस्त < फा०४ 3- एजेन्ट, उपनायक । वजरंगी वज्र के समान अंगों वाला (अर्थात् पहलवान) । साहि बज्जै रन जंगी = शाह ने जंग बजा दी अर्थात् कठिन चढ़ाई कर दी। सोरा रच्यौ = शोर करते हुए। सोरा < फा०उत्तर = उतरा, पार किया। संभले सूर गये । रोस <सं० रोष, क्रोध । वीर वीरं दुर्यो : = फूट पड़ा। जंगी = ज़बरदस्त । दिया अर्थात् भयानक चढ़ाई कर दी। साँभर का शूरमा शूर सम्हल वीरों में वीर (अर्थात् पृथ्वीराज ) । बज्जै रन जंगी - ज़बरदस्त रण बजा दिया अर्थात भयानक चढ़ाई कर दी।

रू० ४२ -- तमसि तमसि = क्रोध युक्त हो । रोष भरिग = रोष में भर गये । रुपिजमकर डटकर । गोरी साज = गोरी का दल।

नोट -- रू० ४१-- "करि तमाय चौ साहि = the Shah formed four squadrons." Growse. Indian Antiquary. Vol III.

चिन्हाव [चना या चिनाव ] <फा० चिनाब = (चीनी + श्राब ) -- पंजाब की पाँच नदियों में से एक जो लद्दाख के पर्वतों से निकल कर सिंध में जा गिरी है । यह प्राय: छे सौं- सील लम्बी है । हिमालय के चन्द्रभाग नामक खंड से निकलने के कारण इसका नाम संस्कृत में चन्द्रभागा था ।