पृष्ठ:रेवातट (पृथ्वीराज-रासो).pdf/३२२

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

________________

( ८४ ) गये । युद्ध में प्रवल दोनों वीरों ने दोनों हाथों से तलवारें उठा ली। ( अंत में लड़ते लड़ते ) चालुक्य की तलवार टूट गई और तब उसने कमर से कटार खींच ली। परन्तु बैरियों ने उसे चारों ओर से घेर लिया और धम युद्ध होने लगा। सारंग के बंधु के अनेक घाव लगे जिससे यह गिर पड़ा और गोरी ने उस पर मरने वाला वार किया ( अर्थात् गोरी ने उसे मार डाला ) 1 शब्दार्थ – रू० ६५ -- सोलंकी ( या चालुक ) – राजपूतों की जाति विशेष | अन्हिलवाड़ापन गुजरात में राज्य करने वाले इसी राजपूत कुल के थे । सीमदेव द्वितीय उपनाम भोला जयचंद के बाद पृथ्वीराज का भयानक 1 प्रतिद्वंदी था । अपने पिता सोमेश्वर की हत्या का बदला लेने के लिये चंद कवि का कथन है कि पृथ्वीराज ने भीमदेव को युद्ध में मार डाला ( रासो- सयौ ४४ ) | यह बात 'रासमाला' (Rasmala. Forbes Vol. 1, pp. 221-30 ) से भी प्रतिपादित होती है। साथ ही चंद ने सीमदेव के पुत्र कचरा चालुकराव या कचराराय - चालुक पहु के विषय में लिखा है कि संयोगिता पहरण वाले युद्ध में वह भी पृथ्वीराज के साथ था और उसी युद्ध में गंगा में डूब गया [रासो सम्यो ६१ तथा Asiatic Journal, Tod, Vol. XXV, pp. 106, 282] | कुछ भी हो यह बात निर्विवाद सिद्ध है कि सोलंकी वंश के अनेक राजकुमार पृथ्वीराज के सामंत थे । माधव सोलंकी भी इन्हीं में था और दूसरा सारंग था जिसका वर्णन अगले ६० ७० में श्राता है। सोलंकी या चालुक्य राजपूत वंश छत्तीस उच्च राजवरानों में था तथा श्रर अग्नि कुलों में एक था । [ सोलंकियों का वि० वि० देखिये -- Rajasthan Tod. Vol. I, pp. 27, 100; Hindu Tribes and Castes. Sherring. Vol. I, pp. 156-58; Races of N. W. India, Elliot, Vol. I, p. 50 ]| बिलची = खिलजी ख़ाँ । सुष लग्गा == सामने आया: मुकाबिला हुआ । सुवर बीर रस बीर - सुभट वीररस में तो बीर थे हो । बीर वीरा रस परगा वीर वीर रस में पग गये । दुधन बुद्ध जुध युद्ध में दक्ष दोनों ने। उभारी अर्थात् उठाई। तुहि टूट गई । तेग == तलवार | उपभारिय चालुक्य -- सोलंकी माधव राय के लिये याया है । बध्य <सं० वस्ति = कमर | [ बध्य < बक्षस्थल = छाती ] । कढि = काढ़ना, कटार [] दे० Plate No. III ] | सारंग बंध खींच लेना | कटारिय== सारंग का संबंधी; सारंग ( तलवार ) + बंध (बाँधने वाला ); सारंग (तलवार) + बंध (बार, धात्र ) । दिन्नौ मरन = मरने वाला आघात किया ।