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शिव। हर सारौ=सब हरने वाले या सर्वनाशक। सबर<सं॰ शाबर=मंत्र तंत्र (उ॰—'शावर मंत्र जाल जेहिं सिरजा।' रामचरित मानस)। सद्द<सं॰ शब्द। बद्दयों (बढ्ढयो)=बढ़ाया। सवर सद्द बदयौ=शाबर मंत्रों का उच्चारण किया। विषम दाग्गं घन झारौ=(१) एक प्रकार की मद में भरने वाली वायु फैल गई (२) विषम (दग्गं<दृग) नेत्रों से अग्नि भरने लगी। सदिट्ठ<सदृष्टि=देखा गया। अम्रित<अमृत। अमर=अमरता (देने वाले)। मंडलोक=मंडलेश्वर। राम=अयोध्या के राजा इक्ष्वाकु वंशी महाराज दशरथ के ज्येष्ठ पुत्र जो ईश्वर या विष्णु भगवान् के गुरू अवतारों में माने जाते हैं। रावन<सं॰ रावण (=जो दूसरों को रुलाता हो)। लंका का प्रसिद्ध राजा जो राक्षसों का नायक था और जिसे युद्ध में भगवान् रामचन्द्र ने नारा था। राम रावत—पृथ्वीराज की सेना का एक वीर योद्धा था। [रावत—यह छोटे राजपूतों की उपाधि है। गढ़वाल के राजपूत कस्सी नामी पहाड़ी जाति से विवाह संबंध करने के कारण बहिष्कृत किये गये थे। इनमें जो अच्छे रह गये उन्होंने 'रावन' उपाधि ग्रहण कर ली। चंदेल राजपूतों की चार शाखायें भी राजा, राव, राना और रावत हैं। Races of N. W. Provinces of India. Elliot, Vol. І, pp. 24, 72, 116, 293 में रावतों का वि॰ वि॰ है]। ह्योर्नले महोदय का मत है कि जंधार भी रावत था परन्तु जोगी होने के कारण जाति च्युत हो गया था। इत्तौ=इतना;ऐसा।

नोट—'रावन' और 'रावत' पाठों में 'रावन पाठ अधिक उचित और उपयुक्त है। राम रावण का युद्ध प्रसिद्ध है और राम रावत को जानने वालों की गणना नगणय है।

कवित्त

सिलह सज्जि सुरतांन, झुक्कि बज्जे रन जंगं।
सुने अवन लंगरी, वीर लग्गा अनभंगं॥
वीर धीर सत मध्य, वीर हुकंरि रन धायौ।
सामंतां सत मद्धि, मरन दीन भय सायौ॥
पारंत धक्क हालात रिन[१], षग[२] प्रवाह पग पुल्लयौ।
बिव्भूति[३] चंद अंगन तिलक, वह्रि वीर हकि दुल्लयौ॥छं॰११४। रू॰ ७९॥

भावार्थ—रू॰ ७९—सुलतान कवच और अस्त्र शस्त्र से सुसज्जित होकर शुद्ध भूमि में जंग करने के लिये झुका। अपने कानों (यह) सुनकर


  1. ए॰—रिन, तरिन
  2. ना॰—पर
  3. ना॰—विभ्भूत।