पृष्ठ:रेवातट (पृथ्वीराज-रासो).pdf/३९५

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

________________

( १५७ ) (वि०वि० देखिये --- History of Kanauj, R. S. Tripathi. Preface and pp. 1--18.) । गजनी (< राजनी) -- अफगानिस्तान के बिजाई प्रदेश की राजधानी ग़ज़नी कंधार से कात जाने वाली पक्की सड़क पर ७२८० फीट की ऊँचाई पर राजनी नदी के वायें किनारे ३३ ३४ अक्षांश उत्तर और ६८ १७ देशांतर पूर्व में पर्वत- मालाओं पर बनी कुछ प्राकृतिक और कुछ कृत्रिम ऊँची दीवाल से घिरा हुआ बसा है। इसका नाम राना और जीन भी मिलते हैं । प्रसिद्ध यूनानी लेखक 'टालमी' [ Ptolmy ] ने गञ्जक (Gazaca) नाम से जिस नगर का वर्णन किया है वह संभवत: राजनी ही है । 'रालिं- सन' महोदय Sir H. Rawlinson ] ने इसको जोस (Gazos) नाम से पहिचाना है और होनसांग ने होसीना [ Ho-si-na नाम से इसका afa fear है | श्रक्रमण काल के समय गजनी के आसपास का प्रदेश जाबुल ( Zabul ) कहलाता था और यह भारतीय व्यापार का प्रधान केंद्र था । सन् ८७९ ई० में बाकू ने इस प्रदेश पर आक्रमण कर यहाँ के निवा- सियों को तलवार के जोर से इस्लाम धर्मानुयायी बनाया। कलर (श्यालपति ), सामंद, कमलू, भीम, जयपाल ( प्रथम ), आनंदपाल, जयपाल ( द्वितीय ) और भीमपाल ये आठ ब्राह्मण शासक काबुल में हुए हैं और राजनी का इनके अधिकार में होना असंभव नहीं है । महनूद गजनवी के समय तक काबुल के हिन्दू राजवंश ने काबुल नदी की घाटी का कुछ भाग अपने अधिकार में रखा था। दसवीं सदी में अलप्तगीन नामक एक तुर्की दास ने बोखारा में राज्य करने वाले समनिद राज्यवंश से राजनी छीनकर वहाँ अपनी राजधानी स्थापित की । सन् ६७७ ई० में अलप्तगीन का दामाद सुबुक्तगीन गजनी की गद्दी पर बैठा और क्रमश: उसने अाधुनिक अगानिस्तान और पंजाब पर अधिकार कर लिया । सन् ६६७ ई० में उसका पुत्र महमूद गजनवी गद्दी पर बैठा । इसने भारतवर्ष पर सत्रह [आक्रमण किये और असंख्य धन लूटकर ग़ज़नी ले गया । महमूद के बाद उसके चौदह वंशजों ने और राज्य किया, परन्तु महमूद arita aathe पनी उस समृद्धि पर कभी न पहुँच सका। बहरामशाह ग़ज़नवी (सन् १९१८-५२ ई० ) ने ग़ज़नी श्राये हुए ज़िबल के बादशाह गोर के कुमार कुतुबुद्दीन को मार डाला जिसपर कुतुबुद्दीन के भाई सैफउद्दीन सूरी ने एक बड़ी सेना लेकर आक्रमण किया और बहराम को खदेड़ दिया; परन्तु