पृष्ठ:रेवातट (पृथ्वीराज-रासो).pdf/४०१

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( १६३ ) बैठा । छै वर्ष तक उसने पूर्ण प्रताप से राज्य किया चन्त में शक १३४० में दिल्ली के बादशाह ने उस पर चढ़ाई की और कपट युक्ति से उसको परास्त करके मार डाला । इस प्रकार यादव राज्य की समाप्ति हुई ।" [ हिन्दी शब्द सागर, पृ० १६१६-२० ] । मुहम्मद तुगलक ने दिल्ली वीरान करने और देवगढ़ याबाद करने का फ़रमान निकाल | उसने दिल्ली और देवगिरि के मार्ग पर छाया के लिये वृक्ष लगवाये और कहला दिया कि निर्धन दिल्ली निवासियों को देवगिरि तक जाने के लिये भोजन की व्यवस्था राज्यकोप से की जाय तथा यह सूचना दी कि आज से देवगढ़ का नाम दौलताबाद हो गया ।" [Firishta ( Briggs ), 1829, Vol I, p. 420.] सन् १५९५ ई० में दौलताबाद (देवगढ़ या देवगिरि) ने ग्रहमदनगर के अहमद निजामशाह को आत्म समर्पण कर दिया । निजामशाही वंश के पश्चात् हवशी गुलाम मलिक अंबर ने इस पर अधिकार कर लिया । उसके वंशज सन् १६३४ तक यहाँ राज्य करते रहे । सन् १६३४ में शाहजहाँ के शासनकाल में मुग़लों ने दुर्ग और नगर पर कब्जा कर लिया । मुगलों के दक्षिण साम्राज्य के साथ दौलताबाद निजाम-उल-मुल्क के अधीन हुआ और तभी से हैदराबाद के निज़ाम यहाँ का शासन प्रबन्ध करते चले आ रहे हैं। केवल सन् १७५८ में अंग्रेज सेनापति 'वसी' ( N. Bussy ) ने दौलताबाद पर अधिकार कर लिया था परन्तु जब 'लैली' (M. Lally ) ने सेना लेकर atch जाने के लिये चाज्ञा दो तो 'बसी' ने दौलताबाद का अधिकार छोड़ दिया । [ Fitzclarence, Fullerton, Firishta, Scott और Orme के आधार पर ] | लाहौर C प्राचीन राजधानी के खण्डहरों पर पंजाब का आधुनिक प्रसिद्ध नगर लाहौर, रावी नदी के बायें किनारे, पाँच छै मील की दूरी तक पूर्व से पश्चिम ३१° ३७ अक्षांश उत्तर और ७६ २६ देशांतर पूर्व में बसा हुआ है । इसकी जनसंख्या सन् १९३१ की गणना के अनुसार ४२६७४७ थी और सन् १९४१ की गणना के आधार पर ६७१६५६ है । फारसी इतिहासकारों ने लाहौर को लोहर, लोहेर, लोहवर लेहवर, लुइवर, लोहावर, लहानूर रहावर आदि भी लिखा है । राजपूताने की ख्यातों में इसका नाम लोह-कोट और (पुराणों के) देश विभाग में लबपुर