पृष्ठ:रेवातट (पृथ्वीराज-रासो).pdf/४११

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लंगूर - [ हनुमान् ]-- ( १७३ ) वाल्मीकि रामायण में शाप वश पुजिकस्थला नामक अप्सरा ने अंजना नाम से कुंजर के घर जन्म लिया और केसरी से उसका विवाह हुआ | बाद में वायु द्वारा अंजना के गर्भ से हनुमान् पैदा हुए। जैन राम कथाओं में उपर्युक्त कथा विकृत रूप में मिलती है। उत्तरपुराण (गुणभद्र ) में हनुमान् राजा प्रभजन तथा अजना देवी के पुत्र हैं तथा उनका एक नाम अतिवेग भी है। शैव तथा शाक्त पुराणों में हनुमान् शिव के अवतार कहे गये हैं । स्कंदपुराण में वे रुद्र के अंश बताये गये हैं और यही वार्ता महानाटक में भी मिलती है। महाभागवत पुराण में विष्णु के अवतार लेते समय शिव उनसे कहते हैं कि मैं वायु द्वारा उत्पन्न होकर वानर रूप में तुम्हारी सहायता करूँगा। शिव पुराण में विष्णु के मोहिनी रूप पर शिव का वीर्य स्खलित होने पर सप्तर्षियों द्वारा उसे अंजना के कान में रखने तथा इस प्रकार हनु- मान के जन्म होने की कथा दी है। अनेक राम कथाओं में हनुमान् के विष्णु प्रेमी होने की ध्वनि है । श्रानंदरामायण में दशरथ के पुत्रेष्टि यज्ञ के अवसर पर एक गीध द्वारा कैकेयी का पायस छीन कर 'जनी - पर्वत पर फेंके जाने का उल्लेख है । अजनी गर्भवती होती है । इसी पायस को खाकर हिंदेशिया की राम कथाओं में हनुमान् राम और सीता के पुत्र . प्रसिद्ध हैं । ये पंपा के एक वीर वानर हैं जिन्होंने सीता हरण के उपरांत रामचंद्र की बड़ी सेवा और सहायता की थी। ये सीता की खोज करने के लिये लंका गये, रावण का उपवन उजाड़ा जिसके फलस्वरूप नागपाश में बाँधे गये और इनकी पूँछ में तेल से भीगे पलीते बाँधकर आग लगा दी गईं । इन्होंने अपना रूप बड़ा करके सम्पूर्ण हेम लंका को प्रज्वलित कर दिया और फिर समुद्र में कूदकर अपने को ठंढा किया। रावण की सेना के साथ ये बड़ी वीरता से लड़ े थे । अपने अपार वत्त और वेग के लिये ये प्रसिद्ध ही हैं । और बंदरों के समान इनकी उत्पत्ति भी विष्णु के अवतार राम की सहायता के लिये देवांश से हुई थी। ये रामभक्तों में सबसे श्रादि कहे जाते हैं और राम ही के समान इनकी पूजा भी भारत में सर्वत्र होती हैं । हिंदू योद्धा तथा पहलवान बल प्रदाता हनुमान का स्मरण विशेष रूप से करते हैं और प्राय: इनके उपासक भी होते हैं।