सामग्री पर जाएँ

पृष्ठ:लखनऊ की कब्र (भाग २).djvu/७६

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

________________

  • लनऊ की कत्र सात की. इसकी भी कोई वजह खास है।"

उस लौंडों की बात सुनकर मैंने घबराकर पूछा.--" तो क्या, घाकई' यह जो कुछ तुम कहरही हो' सही है ?" उसने कहा'--" वेशक. अगर आपको. मेरी बातोपर यकीन हो!' नाजरीन उसबोडीकी बातें सुनकर मैंने दिलही दिल में कहा."इस्लाही, यह क्या माजरा है! आह, मैंकित्सबलामे आकर फसगयाहा मुही गोर करते देखकर यह लौंडी जरा मुस्कुराई और कहने लगो-क्या आप सिहरबानी करके उन बातो का मेरे आगे जाहिर कर सकते हैं, जिन्हें कि आपने मेरी हीसूरत शकलबाली लौंडी से पेहतर कही थी। इल पर मैंने मुझपर सौर पर वह सारा दास्तान कह सुनाया जिले उरांने गौर से सुना और कहा,--"अल्लाह, अल्लाह, उस हरामजादी ने आपको वेतरह धोखा दिया, लेकिन र. यह जानकर मुझे निहायत खुशी हुई कि आप मुझे इतना प्यार करते थे।" मैंने कहा.--"थे, क्या, बल्कि यों कहो कि है ! वो गुमनाम ! अवतो तम वराहे मिहरवानी अपनी नाम बता दो. और कोई ऐसा निशान मुझे पता दो, जिसमें तुम्हें पहचानने में मुझे आइन्दे धोखान खाना पड़े और बस नकली हरामजादी को मैं आसानी से पकड स . मेरी बात सुनकर उसने कहा,-"साहिब ! आपको अगर मेरे नाम सुमने से तस्कीन है! तो सुन लीजिये. मेग नाम जोहरा है, लेकित, देखिोगा,--खघरदार. मलका के रूबरू मुझे इस नाम से इनिज न पुकारियेगा । वरन मेरी और आपकी जान की खैर नरहेगी । और दूसरी बातके जबारमें मैं जिफ इतनाही निशानकाकी समती हूं कि जब तक मैं आप ले आकर यह न कहा करूंकि लो दोस्त, तुम्हारी लौंडी जोहरा ओगई, तब तक तुम मुझ से हर्षित किसी किस्म की बात चीत न करना और एक यही तरीका