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पृष्ठ:लवंगलता.djvu/४०

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परिच्छेद]
३९
आदर्शवाला।


बुरा हाल था कि लवगलता ने चकित होकर पूछा,—

"है, है! यह क्या बात है जो तू इतना हंस रहो है?"

कुन्दन.—"ह ह ह ह !!!बीबी रानी, ह ह ह ह!!!"

लवंग॰—"ऐ, वाह! कुछ कहेगी भी, कि योही पगली की तरह ही ही ही ही ही किया करेगी।"

कुन्दन॰—'बीवी रानी' ह ह ह ह!!! एक बुढ़िया आई है।"

लवग॰—'तो इसमे इतने हंसने की क्या बात है? कह कौन बुढ़िया है?'

कुन्दन॰—"ह ह ह ह!!! उसकी बात जब आप सुनेगी, तो आप भी मेरी ही भांति हंसते-हंसते ही लोट जायगी!"

लवंग॰,—वह क्या कहती है?"

कुंदन॰,—वह निगोडी कहती कि जैसी तस्वीरे मेरे पास हैं, वैसे किलोने सपने में भी न देखी होगी!"

लवंग॰,—"यह हो सकता है कि उसके पास वैसी ही तस्वीरें हों!"

कुन्दन॰,—"बीबी रानी की बात! अजी! पहिले उस चुड़ैल की सूरत तो देखिए कि जिन्हें देखने से ओगाई आती है। उसके पास ऐसा तस्वीरें! ।। तिस पर तुर्ग यह कि वह कम्बख्त सिवा आपके और‌ किसी नो आनी नायाब नम्बीर दिखलावेगी ही नही.

लवंग॰,—"खैर नो तू जा और उले ही बुलाला!"

कुन्दन॰—"वह चुडैल इम कमरे मे पैर रखने लायक है जिस मे मखमलो पर्श बिछा हुआ है!!"

लवग॰.—"जा जा उसे यहीं बुला ला।"

इतना सुनकर कुन्दान गई और उस बुढिया को न हो पर बुला लाई। बुढ़िया ने कपरे मे पैर रखते ही मुक्तकर लनगलता को सलाम किया और उसका इशारा पाकर वह वै उरई।

उनके बैडी पर लगाने ठा,- तु कहा ने आना हो बूतो!"

बुढिया,—'जी! मैं की रहनेवाली और मेग काम या है कि मैं णगे में धू धू कर बवडेअर-घरानो मे तस्त्र र त्रा करतो हूं । मेरे पास ऐला तस्वीर हे कि वैमो किहीने बार में भी न देखी होगी।"

कुन्दन,—"ह ह ह ह!!! लीजिए, सुनिए, जैसी इनकी बेजोड