पृष्ठ:लवंगलता.djvu/५९

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५८
[दसवां
लवङ्गलता।


कपड़े बराबर कर और ऊपर से एक चादर शरीर पर डाल उसने उसी लौडी से कहा,—नव्वाबसाहब को बुलाला।"

इतना सुनकर लब लौंडियां कमरे के बाहर चली गई और नव्वाब सिराजुद्दौला शाहानः लियास पहिरे हुए कमरे के अन्दर आया।

उसे देखते ही लबंगलता ने जरामा मुस्कुराकर और झुक-कर सलाम किया और कहा,—"नव्याबसाहब! क्या सचमुच आप मुझे तहेदिल से प्यार करते है?"

सिराजुझौला को कभी स्वप्न मे भी इस बात का विश्वास न था कि,—'यह सुन्दरी मुझसे इस ढग से बाते करेगी!' सो, लवंगलता और मधुरता से भरी हुई बाते सुनकर बंगाले का दुराचारी नव्वाब सिराजुद्दौला एकदम फड़क उठा और लवगलता का हाथ पकड़ने के लिये आगे बढ़ा।

उसका अभिप्राय समझकर लवंगलता ज़रा पीछे हट गई और बोली,—"हुजूर मैं आप ही की हूंगी, इसलिये अभी सब कीजिए, फिर आपके जो जी मे आवेगा, कीजिएगा, क्यो कि अभी आप मेरे बदन में हाथ नहीं लगा सकते, इसलिए बैठिये, वही मसनद पर बैठ जाइए और मेरे सवालो का जवाब देकर पहिले मेग जी भर दीजिए।" लवंगलता की बातें सुनकर सिराजुद्दौला मसनद पर बैठ गया और हसकर बोला,—"दिलण्या मैं तेरा फर्मावार हूँ; पस, तू मुझे आज से अपना जरखरीद गुलाम समझ और बतला कि मै क्योकर तेरी जमई करदूं, जिसमें मेरी जानिब से तेरे दिल मे कोई शक बाक़ी न रह जाय।"

लवंग॰,—"सुनिए, पेश्तर तो यह कि मुझे आप किस तरीके पर रक्खेंगे?"

सिराजुद्दौला,—"अपनी बेगमो की सरताज बनाकर।"

लवंग॰.—"बेहतर, मगर यह तो बतलाइए कि अगर आप मुझे सब बेगमो की सरताज बनाएंगे तो मोहनलाल की बेचारो लडकी लुत्फ़उन्निसा, जिसे आपने बड़े बड़े कौलोकरार करके अपनी बेगम बनाया है, अपने जद मे क्या कहेगी और उसके नजदीक आप झूठे साबित होगे या नहीं। फिर ऐसा भी होसकता है कि जिस तरह आज आप लुत्फ़उन्निसा के साथ दगा कर रहे है, किस्मी रोज किसी और नाज़नी को पाकर मेरे साथ भी बैसा ही सलूक करेंगे!!!"