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पृष्ठ:लेखाञ्जलि.djvu/१००

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लेखाञ्जलि

सिकन्दरकी इमारतें।

आगरेसे सिकन्दरा ५ मील है। लोगोंका अनुमान है कि लोधी घरानेके बादशाहोंके समयका आगरा यहीं था। आगरे और सिकन्दरेके बीच में अनेक पुरानी इमारतोंके खँडहर अबतक पाये जाते हैं। सिकन्दरेमें सिकन्दर लोधीकी बारादरी मशहूर है। वह १४९५ ईसवीमें बनी थी। इस इमारतको लोग अकबरकी ईसाई बेगम मरिअमुज्ज़मानीके रौज़े के नामसे अधिक जानते हैं। अकबरने एक क्रिश्चियन मेमसे विवाह किया था। उसीकी क़बर यहाँपर है।

सिकन्दरेकी इमारतोंमें सबसे अधिक दर्शनीय इमारत अकबरकी क़बर है। उसके चारों तरफ़ बाग़ है। बाग़में चार फाटक हैं, मक़बरेकी इमारत पाँच खण्डोंकी है। नीचेके खण्डोंकी अपेक्षा ऊपरके खण्ड छोटे होते गये हैं। सबसे ऊपरका खण्ड बिलकुल सङ्गमरमरका है। अकबरकी क़बर नीचे है। उसका जवाब जो ऊपर है उसके सिरहाने और पैताने अल्लाहो अकबर और जल्लअजलालहू खुदा हुआ है। इधर-उधर परमेश्वरके ९९ नाम अरबीके बड़े ही सुन्दर अक्षरों में नक़्‌श किये हुए हैं। परन्तु वहाँ जितने लेख हैं उनम महम्मद साहबका नाम कहीं नहीं है। इसमें पत्थरका काम पहले बहुत अच्छा था। परन्तु डीगके जाट राजा जवाहरसिंहने इसके बहुतसे कीमती पत्थर उखाड़कर इसकी शोभा कम कर दी। इसी मक़बरेमें अकबरकी दो बेटियाँ और दो पोतियाँ भी दफन की गयी हैं। शाहे आलमके बेटे सुलेमांशिकोहकी भी कबर यहीं है। उसकी दो बेगमें भी उसीके पास दफ़न हैं। यह मकबग, जहाँगीरके समयमें, १६१२ ईसवोमें बनकर तैयार हुआ था।

—— [मार्च १९२३]