पृष्ठ:लेखाञ्जलि.djvu/१०१

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११—चित्रों द्वारा शिक्षा

अभी कलतक हमलोग इस लायक भी न समझे जाने थे कि अपने देशके राज्य-प्रबन्धका थोड़ासा भी अंश हमारे सिपुर्द किया जा सके। सरकार कहती थी कि अभी तुम निरे बच्चे हो, राज-काज चलाने की योग्यता तुममें नहीं। जब होगी, तब तुम्हें वह काम दे दिया जायगा। अभी तो तुम हमीं को अपना माँ-बाप समझो। हमीं तुम्हारी रक्षा करेंगे—तुम्हें लिखावें, पढ़ावेंगे और तुम्हें बलाओंसे बचावेंगे। पर समयने पलटा खाया और सरकार हमें अपना राज्य संभालनेक कुछ-कुछ योग्य ही नहीं समझने लगी, किन्तु उसने राज्य-प्रबन्धसम्बन्धी बहुत-कुछ काम भी हमें दे डाला।

कुछ समय पूर्व, इधर तो सरकार हमारी अयोग्यताकी घोषणा कर रही थी, उधर इस देशकी कई रियासतें अपने राज्य-प्रबन्धकी खूबियोंसे हमारी अंगरेज-सरकारको, कई विषयोंमें मात कर रही थीं। मानों वे यह कह रही थीं कि भारतवासियोंपर अयोग्यताका कलङ्क लगाना नितान्त निराधार है। मौक़ा दिये जानेपर वे सरकारसे