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लेखाञ्जलि


एंजिनकी शक्ति दोसे तीन घोड़ेतककी है । यह मैशीन एक गाड़ीपर रक्खी रहती है, जिसे पक्की सड़कपर आदमी आसानीसे खींच सकते हैं। इसका वजन कोई ४ मन है। इस मशीनकी सहा- यतासे ६५ फिल्म दिखाये जा सकते हैं।

दुसरी मैशीनका नाम है---कोक । यह पहलीसे छोटी है। कीमत इसकी कोई ४०० रुपया है। यह आसानीसे उठाई जा सकती है। यह अपने ही भीतर बिजलीकी रोशनी पैदा करती है और इसके दस्तेको जग घुमा देनेहीसे चलने लगती है। वजन इसका दस बारह सेर है। ३ फुट लम्बे और उतने ही चौड़े चित्र इसके प्रकाशकी सहायतासे दिखाये जा सकते हैं। इसके फिल्मोंकी संख्या ४५ है। कृषि, उद्योग-धन्धे, विज्ञान, सफाई, युद्ध और हंसी-मज़ाक आदि कई विषयोंके दृश्य इसके फिल्मोंके द्वारा देखनेको मिलते हैं।

तीसरी मैशीन,"रेडिओपटिकन” नामकी बहुत छोटी है। उसका वज़न सेर भरसे अधिक न होगा। काडौंपर ही छपे हुए चित्र उसकी सहायतासे दिखाये जा सकते हैं। इस मैशीनकी कीमत कोई १०० रुपया है। इसमें एक दोष है । एक तो इसका माल-मसाला चुक जानेपर देहातमें नहीं मिल सकता, दूसर इसके बिगड़ जानेका डर भी लगा रहता है। इस कारण यह बाहर देहातको, कम भेजी जाती है।

युद्धके समय मैजिक लेनटर्नके लेक्चरोंका प्रबन्ध इस प्रान्तकी गवर्नमेंटने भी कुछ दिनोंतक किया था। उसने कुछ आदमियोंको इस कामपर नियत कर दिया था। वे देहातमें गाँव-गाँव---विशेषकर उन गाँवोंमें जहाँ मदरसे हैं---जाकर चित्र दिखाते फिरे थे। पर ये चित्र