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भेड़ियोंकी माँदमें पली हुई लड़कियाँ


इस भ्रमणमें देखी गई अनेक आश्चर्यजनक बातों का बड़ा ही मनोरंजक वर्णन उन्होंने अपनी एक पुस्तक में किया है। यह पुस्तक प्रकाशित हुए बहुत समय हुआ। पर शायद बड़े-बड़े पुस्तकालयों में यह अबतक उपलब्ध हो। इस पुस्तक में स्लीमन साहब ने कुछ ऐसे लड़कों का हाल लिखा है जो भेड़ियों की मांदमें पले थे और जिन्हें उन्होंने खुद देखा था। मुझे याद पड़ता है कि इस तरहके लड़कों के सम्बन्ध में दो एक बड़े ही मनोरंजक लेख किसी मासिक पुस्तक में बहुत पहले प्रकाशित हो चुके हैं।

अस्तु। पुरानी बातें तो गई। अब इस तरहकी एक नई घटनाका वर्णन स्टेट्स्मैन आदि अखबारों में, अभी कुछ ही समय पूर्व प्रकाशित हुआ है। कलकत्तेमें एक कालेज है। नाम उसका है बिशप्स कालेज। बिशप, अर्थात् बड़े पादरी,एच० पेकनहम-वाल्श, उसमें अध्यापक या अधिकारि-पदारूढ़ हैं। उन्होंने ऐसी दो लड़कियों का हाल प्रकाशित कराया है जो भेड़ियों की माँदमें पली थीं और उन्हीं को मादसे निकाली गई हैं। अब आप अगली बातें पादरी साहब ही के मुखसे सुनिये— पश्चिमी बङ्गाल में मिदनापुर नामका एक शहर है। वह अपने नामके ज़िले का सदर मुक्काम है। वहीं एक अनाथालय है। पादरी सिंह और उनकी स्त्री उसकी देखभाल करती हैं।

पादरी सिंहको कभी-कभी मिदनापुर के देहात में भी जाना पड़ता है। एक बार दौरा करते समय उनसे कुछ देहातियांने कहा कि वहीं कुछ दूरपर एक ऐसी जगह है जहाँ भूत-प्रेत रहते हैं। इस कारण वे लोग उस तरफ जानेकी हिम्मत नहीं करते। उन्होंने यह भी कहा