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पृष्ठ:लेखाञ्जलि.djvu/१३

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भेड़ियोंकी माँदमें पली हुई लड़कियाँ


मिदनापुरहीमें नहीं, देहातमें सर्वत्र ही किसानों की स्त्रियाँ अपने बच्चोंको अपने झोपड़ोंमें सुलाकर खेतपर काम करने चली जाती हैं। कुछ स्त्रियाँ तो उन्हें अपने साथ भी ले जाती हैं और खेतकी मेंड़ या खेतही में उन्हें सुलाकर काम करने लगती हैं। ऐसी जगहों में यदि भेड़ियों का आधिक्य हुआ तो वे यदा-कदा उन बच्चोंको उठा ले जाते और मार खाते हैं। किसानोंकी स्त्रियां लड़कियों के विषयमें और भी बे-परवाही करती हैं, क्योंकि उनकी शादी आदिमें खर्च बहुत पड़ता है। उससे कोई-कोई कुटुम्ब बहुत कर्जदार हो जाता है। परन्तु इतनी निर्दय माता शायद ही कोई होगी जो अपने बच्चे को भेड़ियों का शिकार बनाने के लिए उसे खेतपर छोड़ दे। कुछ भी हो, ये दोनों लड़कियां भेड़ियों ही के द्वारा उठाई जाकर मांदमें पहुंची थीं। इसमें सन्देह नहीं। जान पड़ता है कि लड़कियों के बदनपर पहनाया गया कपड़ा दांतसे पकड़कर भेड़िया उसे उठा ले गया होगा। पहली लड़की ले जानेके पांच छः वर्ष बाद मादा भेड़िया दूसरी लड़की उठा ले गई होगी। उसने देखा होगा कि पहली लड़की उसके बच्चों की तरह जल्द नहीं बड़ी हो गई, वह छोटी हो बनी रही और अधिकतर मांदके भीतर ही रहती रही। इससे उसे खुशी हुई होगी और मिलनेपर दूसरी लड़कीको भी वह उठा ले गई होगी। परन्तु ये हिंस्र जंतु बच्चों को मारकर खा जानेके बदले उन्हें पालते क्यों हैं, इसका कारण अभीतक ज्ञात नहीं हो सका।

सिंह महाशयने इन दोनों लड़कियोंको देहातियोंहीके सिपुर्द कर दिया और कहा कि हम गाड़ी लेकर पीछेसे आगे और इन्हें ले