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पृष्ठ:लेखाञ्जलि.djvu/१३०

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लेखाञ्जलि


खेत जोत जानेके बाद उसको हमवार करने और ढेले तोड़नेके लिए अब वहाँ सरावन या पहटा फेरनेका भी बढ़िया प्रबन्ध हो गया है। पहले वहाँ लकड़ीके काँटेदार पहटे होते थे। उनसे ठीक-ठीक काम न होता था। अब वहांवालोंने लोहेका पहटा बना लिया है। उसमें दाँत या दाँतवे होते हैं। उसे घोड़े चलाते हैं। यदि एक तरफ़से घोड़ा जोता जाता है तो वे दाँतवे सीधे खड़े हो जाते हैं। यदि दूसरी तरफ़से जोता जाता है तो वे तिरछे हो जाते हैं। मतलब यह कि जैसी ज़मीन बनाने की ज़रूरत होती है वैसी ही उससे बना ली जाती है। अमेरिकामें एक और तरहका भी पहटा काममें लाया जाता है। उसमें दाँतवोंके बदले चक्र लगे रहते हैं। वे बहुत तेज़ होते हैं और बराबर घूमा करते हैं। उससे खेतकी मिट्टी खूब महीन और हमवार हो जाती है। उसे फेरनेवाला उसीपर सवार रहता है।

इसी तरहकी और भी अनेक कलें अमेरिकामें ईजाद हुई हैं और रोज़मर्रा काममें आती हैं। उनसे बहुत अधिक काम होता है और ख़र्च तथा मिहनतमें बहुत बचत भी होती है। उन सबके उल्लेखके लिए इस लघु लेखमें स्थान कहां?

फ़सल तैयार होनेपर वह कलोंहीसे काटी और कलोंहीसे बाँधी जाती है। १८३१ ईसवी तक वहाँ भी हँसुवेहीसे फ़सल काटी और हाथोंहीकी मददसे बाँधी जाती थी। सौ-सौ दो-दो सौ बीघोंमें बोये गये गेहूँ की फ़सल हँसुवेसे काटनेमें कितना समय लग सकता है, यह बताने की ज़रूरत नहीं। इस दिक्कतको दूर करनेके लिए भी कई तरहकी कलें ईजाद हो गयी हैं। पहले उनमें कुछ त्रुटियाँ थीं। पर अब वे नहीं