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पृष्ठ:लेखाञ्जलि.djvu/१७२

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लेखाञ्जलि


(१) पचास रुपये मालियततककी नालिशें सुन सकती हैं।

(२) बीस रुपये तककी क़ीमतकी चीज़ चोरी जानेपर चोरीके जुर्मके दावे ले सकती हैं।

(३) बीस रुपयेके नुक़सान या घाटेके मुआविज़े के मुकद्दमोंकी समात कर सकती हैं।

(४) फ़ौजदारीके और मुक़द्दमोंमें बीस रुपये तक या जो नुक़सान या घाटा हुआ हो उसकी दूनी रक़म तक जुर्माना कर सकती हैं। (५) ऐक्ट मदाखिलत बेजा मवेशीके अनुसार दस रुपये तक और ऐक्ट सफ़ाई और तन्दुरुस्तीके अनुसार दो रुपये तक जुर्मानेकी सज़ा दे सकती हैं।

फुटकर बातें।

मुक़द्दमों और नालिशोंकी फीस, जुर्माने और मुआविजेका रुपया, और ऐसी रक़में जो गवर्नमेंट या और कोई दे, सब पञ्चायतके कोशमें जमा होती रहेंगी। यह रुपया पञ्चायतके हलकेकी सफ़ाई वग़ैरह तथा उसमें रहनेवालोंकी बेहतरीके और कामों—उदाहरणार्थ नालोंपर पुल बनवाने, कुवे और तालाब खुदाने या उनकी मरम्मत कराने, तथा आम रास्तोंकी मरम्मत और सफ़ाई—में खर्च किया जायगा। मगर ख़र्च करनेके पहले हाकिम-ज़िला या पञ्चायत-अफ़सरकी मंजूरी दरकार होगी।

क़ानूनकी रूसे पञ्चायतोंका यह कर्तव्य माना गया है कि वे निश्चित नियमोंके अनुसार अपने हलक़ेमें शिक्षाकी उन्नतिके लिए, लोगोंकी तन्दुरुस्ती क़ायम रखनेके लिए, पानीकी कमी दूर करनेके