पृष्ठ:लेखाञ्जलि.djvu/२०७

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प्रसिद्ध उपन्यास-लेखिका मेरा करेलीकें उपन्यासोंने अंग्रेजी साहित्य में एक नयी जान डाल दी है। यह उसी लेखिका के प्रसिद्ध उपन्यास 'वेण्डेट्टा' का हिन्दी अनुवाद दो भागों में है। इसके पढ़ने से पाश्चात्य समाज के दाम्पत्य जीवन का दृश्य-पट एक बार आंखों के सामने नाचने लगता है। जिस समाजमें वैवाहिक सम्बन्ध धर्मकी नींवपर स्थापित नहीं है; जहां एक पतिके मरनेपर तत्काल ही दूसरे पतिकी खोज होने लगती है वहां सुख शान्तिका निवास कहां? इस उपन्यासमें लेखिकाने उन वैवाहिक कुरीतियोंके बीभत्स एवं भयङ्कर परिणाम प्रतिशोधके रूपमें दिखलाये है। लेखिकाने पाश्चत्य संसारकी रमणी नीनाका जो चरित्र चित्रित किया है उसे पढ़कर कौन सहृदय पुरूष होगा, जिसे इस प्रकारकी स्वेच्छा-चारणि स्त्रियोंसे घृणा न होगी। उसी कुलटा नीनाके कारण दो घनिष्ठ मित्रोंमें वैमनस्य हो गया—एकने अपनी जीवन-लीला अपने मित्रके हाथों समाप्त की और दूसरेने उस दुराचारिणिसे प्रतिशोध लेकर एकान्त सेवा द्वारा अपनी आत्मा को शान्ति दी। अनेक तीन रंगें और और एकरंगे चित्रों से विभूषित है। भाषा बड़ी सरल है। पुस्तक सबके लिये उपयोगी है , पर विशेषतया स्त्रियों के लिये। पहले भागका मूल्य १॥) सजिल्द २) और दूसरे भागका २।) सजिल्द २।।।) है।

१०—नवनिकुञ्ज

इसमें हिन्दीके प्रसिद्ध प्रसिद्ध गल्पलेखकों द्वारा लिखित नौ नवीन कहानियां हैं। सबकी सब बड़ी ही सरस हैं। इन्हें पढ़ते ही बनता है। हँसते-हँसते तबीयत ताजीहो जाती है। यह शिक्षाओंका भाण्डार हैं। बालक-वृद्ध, नर-नारी सबके लिये समान उपयोगी है। सादे एवं रंगीन कई चित्रों से सुसज्जित है। मूल्य केवल १) है।