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अद्भुत मक्खियां

इस प्रकार बर्र-जातीय कीड़े प्रतिदिन हज़ारों मक्खियोंका नाश किया करते हैं।

प्रकृति-देवी यदि इन मक्खियोंकी बढ़ती रोकनेका ऐसा उपाय न करती, तो इनसे देश-के-देश सत्यानाश हो जाते। सब प्रकारके उद्भिज्ज और अनुद्भिज्ज-भोजी प्राणी संसारसे चल बसते और यहां केवल मक्खियों ही मक्खियोंका साम्राज्य हो जाता।

आप अपने देशके टिड्डी-दल होको देखिये। टिड्डियोंका असंख्य समूह जब आता है तव किसानोंके होश उड़ जाते हैं। सैकड़ों कोस- तक खेती और बाग-बगीचे सफाचट हो जाते हैं। जहाँ सघन वृक्षों की गहरी छाया देख पड़ती थी, क्षणभरमें वहीं सूर्यकी किरणोंका प्रखर प्रकाश फैल जाता है। पर इनके नाशका भी प्रबन्ध प्रकृतिदेवी ने कर रक्खा है। सैकड़ों प्रकारके पक्षी, सरीसृप आदि इनको अपना आहार बना लेते हैं।

[जून १६२५]