पृष्ठ:लेखाञ्जलि.djvu/६६

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८—उत्तरी ध्रुवकी यात्रा।
और
वहांकी स्कीमो जाति।

उत्तरी ध्रुव तक पहुँचनेकी कोशिश बहुत समयसे हो रही है। पीरी, अमन्दसन और नानसन आदि कितने ही साहसी यात्री, समय-समयपर, उसका पता लगानेके लिये उस तरफ़ जा चुके हैं। पर अभीतक पूर्ण सफलता किसीको नहीं प्राप्त हुई। कुछ लोग बहुत दूर तक पहुँच गये हैं, कुछ थोड़ी ही दूरतक। उनके अनुभवोंसे पश्चाद्वर्ती यात्रियोंने विशेष लाभ उठाया है और आशा है कि अब कोई-न-कोई भाग्यवान् पुरुष ठेठ ध्रुवप्रदेशमें मेख गाड़े और वहाँपर अपने देशका झण्डा उड़ाये बिना न रहेगा। सतत उद्योग करनेसे सफलता अवश्य ही मिलती है। अभी हालमें भी एक साहब ध्रुवपर चढ़ाई करने गये थे। पर सुनते हैं, बीचहीमें कहीं वे अटक रहे और बहुत दिन बाद वहाँके बर्फसे छुटकारा पानेपर अब वे लौट रहे हैं।