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लेखाञ्जलि

ध्रुव-प्रदेशमें सरदी इतनी अधिक पड़ती है कि थर्मामीटरका पारा शून्यके नीचे १० से ५५ अंश (डिग्री) तक उतर जाता है। सरदीके कारण मिट्टीका तेल तक जम जाता है और शराब गाढ़ी हो जाती है। कभी-कभी ऐसा भी होता है कि यात्रीलोग, सामुद्रिक पानी मिलनेपर, उसके जम जानेकी प्रतीक्षा नहीं करते। वे अपना माल-असबाब वहीं कहीं छोड़ देते हैं और तैर कर पानीको पार करते हैं। कहींकहीं बर्फकी तह बहुत पतली होती है। ऐसी जगह चलना बड़ा ही भयङ्कर है। यदि वह तह मनुष्यके बोझसे टूट जाय तो मनुष्य वहीं अथाह सागरमें समा जाय। फिर उसकी प्राण-रक्षा किसी भी तरह नहीं हो सकती।

जो लोग उत्तरी ध्रुवकी यात्राके लिये निकलते हैं वे जहाज़पर ग्रीनलैंड पहुँचते हैं। वहाँसे कुछ दूर आगेतक भी वे जहाज़पर जा सकते हैं। राहमें उन्हें पानी-ही-पानी नहीं दिखाई देता। बर्फ़ के बड़ेबड़े पहाड़ पानीपर तैरते हुए दिखाई देते हैं। कहीं-कहीं तो बर्फकी इतनी अधिकता हो जाती है कि बिना उसे तोड़े जहाज़ आगे बढ़ ही नहीं सकता। और, फिर, जो कहीं सरदीके कारण समुद्रका पानी जम गया और जहाज़ वहीं फँश गया तो जहाज़वालोंकी जान गई ही समझिये।

अद्भुत सहन-शक्ति रखनेवाले बलवान् मनुष्य ही ध्रुव-प्रदेशकी यात्रा कर सकते हैं। साधारण सरदीसे भी बीमार हो जानेवाले मनुष्य इस यात्राके योग्य नहीं। लोमश चमड़ेके मोटे-मोटे कपड़े ही वहाँ काम दे सकते हैं। उनके भी ऊपर, पानीसे बचनेके लिए, एक ऐसा