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पृष्ठ:लेखाञ्जलि.djvu/७५

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उत्तरी ध्रुवकी यात्रा


गरमीके दिनोंमें स्कीमो लोग तम्बू तानकर मैदानों में रहते हैं। उस ऋतुमें घरोंकी छतें उखाड़ दी जाती हैं। इससे सूर्यका प्रकाश भीतर पड़ता है और नमी दूर हो जाती है।

स्कीमो जातिकी स्त्रियां पुरुषोंकी बहुत मदद करती हैं। वे एकको छोड़कर दूसरा पति कर सकती हैं। इस काममें उन्हें किसी तरहकी तलाक़की ज़रूरत नहीं होती। यदि एक स्त्रीके दो प्रेमी हुए तो उन दोनोंमें कुश्ती होती है। जो जीत जाता है वही उस स्त्रीका पति बनता है। पुरुष भी, इस विषय में, स्वतन्त्र हैं। वे भी एकको छोड़कर दूसरी स्त्री कर सकते हैं। ऐसी अवस्थामें स्त्री या तो अपने माता-पिताके घर चली जाती है या अपने किसी प्रेमीके यहाँ। लड़कियोंका विवाह बारह-तेरह वर्षकी उम्र में हो जाता है।

स्कीमो लोगोंको अपनी ज़िन्दगीकी स्थिरताका कुछ भी विश्वास नहीं। इसीसे शायद वे बहुत उद्दण्ड होते हैं। वे नम्रताका बर्ताव जानते ही नहीं। भूतोंसे वे बहुत डरते हैं। चलते-फिरते, खाते-पीने, सभी कामोंमें और सभी जगह उन्हें भूतोंका डर लगा रहता है। वे भूतोंको प्रसन्न करनेके लिए बलिदान देते हैं और उनको वशमें रखनेके लिए मन्त्र-यन्त्र, टोटके आदि भी करते हैं। जब एक घर छोड़कर दूसरेमें जाते हैं तब पहले घरके किवाड़ इसलिए तोड़ देते हैं कि भूत घरको उजड़ा समझकर उसमें प्रवेश न करे। पुराना हो जानेपर जब वे किसी वस्त्रको छोड़ते हैं तब उसकी चिन्धी-चिन्धी करके कल करते हैं। उन्हें डर लगा रहता है कि पहनने लायक समझकर कहीं उसके भी भीतर भूत न घुस जाय। भूतोंको शान्त रखनेके लिए वे पितरों-