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लेखाञ्जलि

की भी पूजा करते हैं। वालरसके गलेकी तांतसे वे एक बाजा और उसीकी हड्डीसे खँजड़ी बनाते हैं। खँजड़ीपर वालरसकाही चमड़ा मँढ़ते हैं। फिर उनको बजाकर उन्मत्तकी तरह खूब नाचते-कूदते हैं।

स्कीमो-जातिके आदमी मुर्देको घरसे बहुत दूर ले जाकर गाड़ते है। उसके कपड़े-लत्ते भी उसीके साथ गाड़ देते हैं। यदि मृत मनुष्यका कोई कुत्ता हुआ तो मारकर वह भी उसीके साथ दफना दिया जाता है। जब कोई स्त्री मरती है तब उसकी आत्माको सुखी करनेके लिए उसका दीपक, सीने-पिरोनेका सामान, थोड़ीसी चर्बी और कभी-कभी उसके छोटे-छोटे बच्चोंतकको मारकर, घरवाले, उसीके साथ गाड़ देते हैं। मृत-व्यक्तिके लिए अधिक समय तक शोक नहीं किया जाता।

स्कीमो लोगोंके देशमें रातें बड़ी लम्बी होती हैं। पर वे तारोंको पहचानते हैं। उन्हींको देखकर वे समयका हिसाब लगाते हैं। सप्तर्षियोंके समुदायको वे लोग हिरनोंकी टोली और कृत्तिकाको कुत्तोंकी टोली कहते हैं। सूर्य्यको पुरुष और चन्द्रको वे स्त्री समझते हैं।

स्कीमो लोग सील मछलीके चमड़ेकी छोटी-छोटी डोंगियाँ बनाते हैं। उन्हीं डोंगियोंपर सवार होकर वे ह्वेल और वालरसका शिकार करते हैं। ज़मीनपर शिकार खेलनेमें वे कुत्तोंसे बड़ी मदद लेते हैं। उनके कुत्ते खूब मज़बूत और चालाक होते हैं। वे थोड़ा भी खाकर कोई रोजतक अच्छी तरह काम कर सकते हैं। वे पानी नहीं पीते। उसके बदले बर्फ़ खाते हैं। बर्फ़ ही उनका पानी है। बर्फ पर गाड़ियां घसीटनेमें उनसे बढ़कर और कोई जानवर काम नहीं दे सकता। इन्हीं कुत्तों और इनके स्वामी स्कीमो लोगोंकी सहायतासे अमेरिकाका कमाँडर