अफ्रीका का प्राचीन नाम शिवदान है। पीछे जब राम ने रावण को विजय किया तथा अपने पुत्रों को राज्य दिया , तब अफ्रीका महाद्वीप कुश को मिला ; तभी से वह कुशद्वीप प्रसिद्ध हुआ । अफ्रीका का मध्य देश जिसे सूडान कहते हैं , शिवदान का ही बिगड़ा हुआ रूप है। यहां भूमध्य सागर के अंचल में यवनसागर है , जिसके तट पर वह प्रसिद्ध पुरी त्रिपुरी थी , जो स्वर्णनिर्मित तथा तीन खण्डों में विभक्त थी । इसे ही शिव ने भस्म करके जलमग्न किया था । आज भी उस स्थान पर त्रिपोली नगर और प्रान्त है, जिसमें शिव नामक नगर भी है । शिव के इस महाद्वीप में आने से पूर्व यहां प्रसिद्ध पृथ्वीविजयी चाक्षुष उर और उनका पुत्र अंगिरा आ चुके थे तथा तमाम द्वीप पर अधिकार कर चुके थे। उरन , रियो - उर उन्हीं की स्मृति को ताजा करता है। अफ्रीका का दक्षिणांचल तो अंगिरा प्रदेश ही कहाता है । अंकोला प्रदेश तथा अंग्रा - पैकृना उसी के बिगड़े हुए नाम हैं । चाक्षुष और शिव के बाद भी सूर्यवंशी सम्राटों ने पीछे इस प्रदेश को अधिकृत किया । मान्धाता - ( मांडाटे ), अम्बरीष ( अम्बे ), मलिन्द, ताम्रकुण्ड -प्रदेश -(टेम्बकटू ), दमी प्रदेश आदि इसी बात के द्योतक हैं । इरिट्रया प्रदेश भी आदित्यों ने जय किया था । इरिट का अर्थ सूर्य है । मत्स्यपुराण में लिखा है कि ब्रह्मराक्षसों का स्थान नलिवी नदी के तीर पर है । यह सम्भवतः रावण के ऊपर ही व्यंग्य है। यदि आप अफ्रीका के नक्शे को ध्यान से देखेंगे तो आपको ज्ञात होगा कि अबीसीनिया के मध्य में एक तन नामक झील है ,जिसके पूर्वी तट पर तीन पर्वत हैं । ये तीनों पर्वत मिले हुए हैं और तीन ओर से इस झील को घेरे हुए हैं । चौथी ओर नील नद है । यह त्रिकूट पर्वत है जिसका उल्लेख पुराण में है । अम्बरीष मान्धाता के पुत्र थे। मान्धाता सात द्वीपों के सार्वभौम सम्राट थे। इनके पुत्र अम्बरीष ब्राह्मण हो गए थे। शिवदान द्वीप में ब्राह्मण या ऋषि को दमी कहते थे। अफ्रीका में दमी प्रदेश भी है और अम्बरीष की खाड़ी भी है। ये दोनों ही पिता - पुत्र निस्सन्देह इस द्वीप में आए तथा उन्होंने इसे अधिकृत किया था । मिस्र का भी प्राचीन नाम शिवदेश - ओसिस आफ शिव था । यहां के राजा पीछे महिदेव – प्रीस्ट -किंग्स कहलाने लगे । ईजिप्ट नाम भी सम्भवतः जटा के नाम पर पड़ा हो । एक रुद्र का नाम कपर्दी था । कपर्द का अर्थ है जटा - जूटधारी। तृत्सु लोगों को भी ऋग्वेद में कपर्दियः कहा है । सम्भवतः कपर्दी उनका नेता हो और वे यहां के आदिवासी हों । बेबीलोनिया अक्केडियन लोगों में भी जूड़ा बांधने की प्रथा थी , परन्तु सुमेरियनों में नहीं थी । सम्भव है, इसी आधार पर इसका नाम ईजिप्ट हुआ हो । हां , ईरान में एक प्रदेश जाटा भी है । सम्भव है वहां के लोगों का यहां से सम्पर्क रहा हो । मिस्र का नाम भी संस्कृत है और महिदेवों ने यह नाम रखा था । मिस्र के ऊपरी भाग में एक स्थान डभीटा है। यहां कभी दमित्र नगर बसा था , जो किसी विजेता आदित्य ने बसाया था । दमित्र , सूर्य या विष्णु का नाम है। त्रिपोली (त्रिपुर), जिसे शिव ने भस्म किया था , वह मिस्र के पच्छिम - उत्तर में प्रमुख नगर है । सब जानते हैं कि त्रिपोली प्रदेश का एक भाग सिरटियन सागर में जलमग्न है । कुछ दिन पूर्व इस जलमग्न भाग की जांच- पड़ताल की गई थी । इसी के निकट कावस स्थान है, यह दैत्य याजक शुक्र के नाम पर है , क्योंकि शुक्र का नाम काव्य भी है । मिस्र देश भूमध्यसागर के तट पर है । इस
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