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से उठाया और बिना इधर -उधर देखे राजाओं, मण्डलीकों, धनुर्धरों, व्रात्यों , ब्रह्मचारियों और ऋषियों के बीच होता हुआ अपने मार्ग चला - हृदय में राम की किसलय- कोमल मूर्ति और सीता की अमलच्छवि को रक्त की प्रत्येक बूंद में भरकर ।
से उठाया और बिना इधर -उधर देखे राजाओं, मण्डलीकों, धनुर्धरों, व्रात्यों , ब्रह्मचारियों और ऋषियों के बीच होता हुआ अपने मार्ग चला - हृदय में राम की किसलय- कोमल मूर्ति और सीता की अमलच्छवि को रक्त की प्रत्येक बूंद में भरकर ।