“फिर भागी क्यों ? “ इसलिए कि मैं अपने को भी प्यार करती थी । " “ तूने मेरा विचार नहीं किया ? " " बहुत किया । ” “फिर भी तू मुझे छोड़कर भाग गई ? " " हां । " "किसलिए ? " " तुम्हारे साथ रह नहीं सकती थी । " " क्यों ? " " क्योंकि उसने भी मुझे प्यार किया । " “ और तूने ? ” “मैंने भी उसे । " " क्या तू उसके साथ सन्तुष्ट रही ? " " बहुत । " “मैंने तुझे कितने हर्म्य- मणि दिए, कितने सुख- साधन जुटाए ! उसने भी ऐसा ही किया ? " " न । " “फिर भी तू उसके साथ सुखी रही। " " हां । " " मुझे याद नहीं किया ? " " बहुत किया । " " मेरे दुःख को नहीं देखा ? " " बहुत देखा। ” "फिर भी लौटी नहीं? " " नहीं लौट सकती थी । " " क्या तुझे बलात् रखा गया था । " " नहीं। " " चाहती तो लौट सकती थी ? " “ लौट सकती थी । " "फिर भी लौटी नहीं ? " " न । " “ क्यों ? " " उसके प्यार के वशीभूत होकर। " " तो उसका प्यार, मेरे प्यार, तेरे विवेक और तेरी - मेरी मर्यादा - सबको आक्रान्त कर गया ? " “ ऐसा ही हुआ। " “ और अब ? "
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