पृष्ठ:वयं रक्षामः.djvu/२७

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4. मनुर्भरत हमारे पाश्चात्य गुरुओं ने हमें बचपन में पढ़ाया था कि आर्य लोग खानाबदोश गड़रियों की भाँति भद्दे छकड़ों में अपने जंगली परिवारों और पशुओं को लिए इधर से उधर भटकते फिरा करते थे। पीछे लोगों ने पत्थरों के नुकीले हथियारों से काम लेना सीखा । मानवों की इस सभ्यता को वे यूथिल सभ्यता कहते हैं । इनमें कुछ सुधार हुआ तो फिर चिलियन सभ्यता आई । इन हथियार - औज़ारों की सभ्यता के समय का मनुष्य अधिक अंशों में नर -वानर ही था । उसमें वास्तविक मनुष्यत्व का बीजारोपण नहीं हुआ था । मुस्टेरियन – सभ्यता के पश्चात् रेनडियन सभ्यता का प्रादुर्भाव हुआ । इस समय लोगों में मानवोचित बुद्धि का विकास होने लगा था । फिर इसके बाद सभ्यताएँ वास्तविक सभ्यताएँ कहलाईं। इनमें से पहली सभ्यता नव - पाषाणकालीन कही जाती है । इस युग का मनुष्य अपने ही जैसा वास्तविक मनुष्य था । यह यूथिल सभ्यता से लेकर नव - पाषाण सभ्यता तक का काल पाषाण - युग कहलाता है । पाषाण - युग के बाद मानव - जाति में धातु - युग का प्रादुर्भाव हुआ । धातु - युग का प्रारम्भ ताम्रयुग से होता है । नव- पाषाण युग के अन्त तक मनुष्य की बुद्धि बहुत कुछ विकसित हो गई थी । इसी समय कृषि का आविष्कार हुआ । कृषि ही सभ्यता की माता है । आर्य ही संसार में सबसे प्रथम कृषक थे । कृषि के उपयोगी स्थानों की खोज में आर्य पंजाब की भूमि में आए। इसी का नाम सप्तसिन्धु देश रखा । वे सारे सप्तसिन्धु देश में फैल गए। परन्तु उनकी सभ्यता का केन्द्र सरस्वती - तट था । सरस्वती - तट पर ही आर्यों ने ताम्रयुग की स्थापना की । यहाँ उन्हें तांबा मिला और वे अपने पत्थर के हथियार छोड़कर तांबे के हथियारों को काम में लाने लगे । इस ताम्रयुग के चिह्न अन्वेषकों को चान्हू- डेरों तथा विजनौत नामक स्थानों में खुदाई में मिले हैं । ये स्थान सरस्वती- प्रवाह के सूखे हुए मार्ग पर ही हैं । मैसोपोटामिया तथा इलाम में यही सभ्यता प्रोटोइलामाइट सभ्यता कहाती है । सुमेरु जाति प्रोटोइलामाइट जाति के बाद मैसोपोटामिया में जाकर बसी है। सुमेरु सभ्यता के बाद मिस्र की सभ्यता का उदय हुआ। प्रसिद्ध पुरातत्त्वविद् डॉ . डी . टेरा, जो अमेरिकन विद्वान् हैं , निश्चित रूप से सिन्धु - प्रदेश को पत्थर और धातु - युग में मिलानेवाला कहते हैं , ताम्र - सभ्यता के बाद कांसे की सभ्यता आई। कांसे की सभ्यता संभवत : सुमेरियन लोगों की थी । उनका यह भी कहना है कि कांसे की सभ्यता वाली ये सुमेरु- खत्ती (हिटाइट ) क्रीटन मिस्री आदि जातियों की सभ्यताएं किसी अन्य अज्ञात देश में तांबे की सभ्यता में विकसित हुई थीं । मैसोपोटामिया के उर -फरा-किश तथा इलाम के सुसा और तपा-मुख्यान आदि देशों में उन्हें खुदाई में कांसे की सभ्यता के नीचे ताम्र - सभ्यता के अवशेष मिले हैं । मैसोपोटामिया में जहां - जहां इस प्रोटोइलामाइट कही जाने वाली ताम्र - सभ्यता के चिह्न मिले हैं , उसके और सुमेरू जाति की कांसे की सभ्यता के स्तरों के बीच में किसी बहुत बड़ी