पृष्ठ:वयं रक्षामः.djvu/२७६

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थीं और भूमि पर पड़े कराहते हुए राजा से रानी कह रही थी - “ राजन् , तुम्हारा गौरव , यश , प्रतिष्ठा , मान , बड़ाई सब इसी में है कि सत्य का पालन करो। राम को आज ही वन भेजो और भरत को अभी राज्य दो । "