पृष्ठ:वयं रक्षामः.djvu/४१५

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

भीमा भी मिल गई । अब वह दुर्जय जो न करे सो थोड़ा है । हे मित्र , इस महावीर्यमती प्रमिला से तो मैं भयभीत हो गया हूं । यह रणप्रिया जो न करे , वही थोड़ा। जाओ मित्र , कृपाकर सुग्रीव और लक्ष्मण को साथ ले लो । द्वार - द्वार जाकर सारी सेना का निरीक्षण कर , सबको यथायोग्य व्यवस्थित कर दो । महाकाल कुम्भकर्ण ने ही हमारी समूची सैन्य को अस्त - व्यस्त कर दिया । अब इस अजेय सत्त्व रावणि के साथ भोर में काल - संग्राम का हमें साम्मुख्य करना है। इस भिक्षुक राम की लाज तुम्हारे ही हाथ है, मित्र ! यहां मैं हूं, तुम सारे मोर्चों पर घूम आओ। शत्रु की गतिविधि का भी पता लगाओ। " राम के वचन सुन गदापाणि विभीषण तुरन्त लक्ष्मण को साथ ले चल दिए । राम व्यग्र भाव से धनुष -बाण ले सावधानी से चारों ओर देखने लगे।