पृष्ठ:वयं रक्षामः.djvu/८३

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प्रभावित किया था । इसी विग्रह के फलस्वरूप हिरण्यकश्यप का वध हुआ । यद्यपि प्रह्लाद से विष्णु ने संधि कर ली थी , परन्तु विग्रह बढ़ते ही गए और इस समय तक चार देवासुर संग्राम हो चुके थे। अब अकस्मात् ही पांचवें देवासुर - संग्राम का संयोग आ जुटा ।