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वरदान
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पुष्पों को सुगन्ध से आनन्दित हो जाते हैं, जो पक्षियों के कलरव और चाँदनी की मनोहारिणी छटा को आनन्द उठा सकते हैं, तो वे तुम्हारी कविता को अवश्य हृदय में स्थान देंगे। विरजन के हृदय में वह गुद-गुदी उत्पन्न हुई जो प्रत्येक कवि को अपने काव्यचिन्तन की प्रशसा मिलने पर और कविता के मुद्रित होने के विचार से होती है। यद्यपि वह 'नहीं―नहीं करती रही, पर वह ‘नहीं' ‘हाँ' के समान थी। प्रयाग से उन दिनों ‘कमला' नाम की अच्छी पत्रिका निकलती थी? प्राणनाथ ने ‘प्रेम की मतवाली' को वहाॅ भेज दिया। सम्पादक एक काव्य-रसिक महानुभाव थे। कविता पर हार्दिक धन्यवाद दिया और जब यह कविता प्रकाशित हुई, तो साहित्य ससार में धूम मच गयी । कदाचित् ही किसी कवि को प्रथम ही बार ऐसी ख्याति मिली हो । लोग पढ़ते और विस्मय से एक दूसरे का मुॅह ताकते थे। काव्य-प्रेमियों में कई सप्ताह तक मतवाली वाला के चर्चे रहे। किसी को विश्वास ही न आता था कि यह एक नवजात कवि की रचना है।

अब प्रति मास कमला के पृष्ठ विरजन की कविता से सुशोभित होने लगे। और ‘भारत महिला' को लोकमत ने कवियों के सम्मानित पद पर पहुँचा दिया। ‘भारत महिला का नाम बच्चे बच्चे की जिह्वा पर चढ़ गया। कोई समाचार-पत्र या पत्रिका ऐसी न थी जो ‘भारत-महिला' की रचनाओं की इच्छुक न हो। पत्र खोलते ही पाठकों क नेत्र ‘भारत महिला' को ढूॅढने लगते। हॉ, उसकी दिव्य शक्तियाँ अब किसी को विस्मय में न डालती। उसने स्वयं कविता का आदर्श उच्च कर दिया था।

तीन वर्ष तक किसी को कुछ भी पता न लगा कि ‘भारत महिला' कौन है? निदान प्राणनाथ से न रहा गया। उन्हें विरजन पर भक्ति हो गयी थी। वे कई मास से उसका जीवन-चरित्र लिखने की धुन में थे। सेवती के द्वारा धीरे-धीरे उन्होंने उसका सब जीवन-चरित्र ज्ञात कर लिया और ‘भारत-महिला' के शीर्षक से एक प्रभाव-पूरित लेख लिखा। प्राण-