इस वंश के नरवर्धन, राज्यवर्धन तथा आदित्यवर्धन इत्यादि राजाओं का इतिहास अभी तक प्राप्त नहीं हुआ पुष्य भूति किन्तु बाण कवि ने पुष्प भूति का थोड़ा बहुत इतिहास दिया है। वह शैव सम्प्रदाय का राजा था। दक्षिण के साधु भैरवाचार्य से उसकी भेंट हुई थी। इस साधुने अपने ब्राह्मण शिष्य पाताल स्वामी द्वारा ब्रह्मराक्षस से प्राप्त अट्टहास नामी बड़ी तलवार पुष्पभूति को दी। एक समय भैरवाचार्य ने महाकाल हृदय नामक महामंत्र के प्रताप से अट्टहास तलवार द्वारा भूत को वध करने का पुष्पभूति से निवेदन किया और टीटिभ, पातालस्वामी तथा कर्णताल नामक तीन मनुष्यों को सहायतार्थ भेजनेका वचन दिया। वह अपनी अट्टहास तलवार को लेकर निश्चित स्थान पर गया और भैरवाचार्य ने मंत्रों का पाठ किया, इस पर से नाग श्रीकण्ठ (जिस के नाम से श्री कण्ठदेश कहा जाता है) प्रगट हुआ। पुप्प भूति ने उसे हाथ से ही पटक दिया, और ज्योंही वह उस पर तलवार से घाव करने को था त्योंही उसकी तलवार तथा नाग
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श्री हर्ष