पृष्ठ:विक्रमांकदेवचरितचर्चा.djvu/१२०

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श्री हर्ष


अपने घर में ले लेती है उसी प्रकार दिन प्रति दिन बढ़ने वाली लड़की पयोधरों के उन्नमन काल में अपने पिता को चिन्ता रूपी चक्र में डाल देती है।

इस को सुन प्रभाकर वर्धन ने अपनी कन्याका विवाह करने का निश्चय किया, और कन्नौज के मौखरिवंश के अवन्तिवर्मा नामक राजा के ज्येष्ट पुत्र ग्रहवर्मा से धूम धाम पूर्वक विवाह कर दिया। यहां हमें मौखरिवंश के इतिहास पर भी विचार करना होगा।

अशीरगढ़ से जो मुद्रा प्राप्त हुई है उसपर शर्ववर्मा का लेख है, उसमें कन्नौज क मौखीर वंश के राजाओं की वंशावली दी हुई है। वह इस प्रकार है (१) महाराजा हरिवर्मा (२) महाराजा आदित्यवर्मा (३) महाराजा ईश्वरवर्मा (हर्षगुप्ता का पुत्र) (४) महाराजाधिराज ईशानवर्मा (उपगुप्ता का पुत्र) (५) परम महेश्वर महाराजाधिराज शर्ववर्मा मौखरि यह सूचि यहीं समाप्त नहीं होती। गुप्तवंशी राजाओंके अफसद के शिलालेख में सुस्थितवर्मा का नाम है, वह छठा राजा था। वराणिका (देव बर्नाक) के शिलालेख