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श्री हर्ष


के परम मित्र थे, वह उसके बहनोई का क्यूं वध करेगें? इसका स्पष्टीकरण इस प्रकार हो सकता है कि माधवगुप्त और कुमारगुप्त, देवगुप्त से छोटे तथा सौतेले भाई होगें। आजकल भी सौतेले भाई प्रायः लड़ते रहते हैं तो उस समय भी कभी यही बात हो, और इसी कारण अभिमानी देवगुप्त ने अपने छोटे भाइयों को अपने भाञ्जो अर्थात् प्रभाकरवर्मा के पुत्रों के पास भेज कर स्वयं मालवा का राजा बन बैठा होगा ऐसा समझना कठिन नहीं। प्रभाकरवर्धन की मृत्यु का समाचार सुन तथा राज्यवर्धन की अनुपस्थिति देख कर देवगुप्त ने ग्रहवर्मा पर चढ़ाई की होगी। उसकी पत्नी राज्यश्री को बन्दी बनाकर राज्य वर्धन पर भी हमला करने का विचार किया होगा। इस कार्य में उसने अपने मित्र कर्णसुवर्ण (मुर्शिदा बाद) के राजा शशाङ्ग गुप्त से भी सहायता मांगी थी। कन्नौज के मौखरियों ने गुप्तवंश का राज्य मिटाकर ठीक ब्रह्मपुत्र तक अपना राज्य विस्तार किया था इस लिये मालवा के गुप्त वंशिओं के समान बङ्गाल के गुप्तवंशी भी मौखरियों से बदला लेने का विचार रखते होगें ऐसी धारणा हो सकती है। इसके अतिरिक्त