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श्री हर्ष


खोजते खोजते थकगये हैं पर कोई पता नहीं लगता, यदि इस सम्बन्धि आपको कोई समाचार मिला हो तो कहने की कृपा करें । ऋषि उत्तर में बोले कि नहीं, हमें कोई समाचार नहीं मिला इतने में ही एक भिक्षुक ने आकर कहा "महाराज बहुत अनर्थ हो रहा है, एक बड़े कुल की अबला दुःखों से दग्ध हो सती होने की योजना कर रही है। आप कृपा कर इसका रक्षण करो। यह सुन हर्ष को अपनी बहिन होने का सन्देह हुआ और उसने भिक्षुक से तुरन्त पूछा यह रमणी यहां से कितनी दूर है, क्या वह अभी जीवित है, वह कौन है, कहां से आई है, और इस जङ्गल में कैसे आई है और सती क्यु होना चाहती है इत्यादि प्रश्न यदि आपने उससे पूछे हो तो कृपा कर उनके उत्तर कहिये। भिक्षुक ने आदिसे अन्त तकका सब वृत्तान्त कह सुनाया। यह सब वृत्तान्त राज्यश्री की जीवन कथा से मिलता था। तब हर्ष, दिवाकर मित्र तथा भिक्षुक के साथ उस स्थल पर गया। इस समय राज्यश्री की अन्तिम प्रार्थना के शब्द हर्ष ने सुने। मूर्छा से गिरती हुई राज्यश्री को बचाने के