सामग्री पर जाएँ

पृष्ठ:विक्रमांकदेवचरितचर्चा.djvu/१६३

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
५१
श्री हर्ष

हर्ष के बाद उसका प्रधान अर्जुन गद्दी को दबा बैठा। उसने वङ्गह्युसेनत्से का अपमान किया और उसका माल लूट कर उसके साथियों को मार दिया। वङ्गह्युसेनत्से बचे हुये थोड़े मनुष्यों के साथ रात के समय भाग निकला, जिससे उसके जीवनमरने के बाद की व्यवस्था. की रक्षा हुई। वह भागता हुआ सीधा तिब्बत पंहुचा वहां के राजा ने उसे आश्रय दिया और उसके साथ १००० सवारों की सेना भेजी, और नेपाल के राजा ने सात हजार सिपाहियों की सहायता दी। इस सेना को लेकर बङ्गह्युसेनत्से लौटा और तिरटुन को आधीन कर लिया। वहां के तीन हजार सिपाहियों को उसने मार डाला और सात हजार आदमी डर के मारे नदी में डूब मर! अर्जुन वहां हार गया और नई सेना इकठ्ठी कर लढाई करने को फिर उद्यत हुआ। परंतु बङ्गह्युसेनत्से ने उसे फिर हराया और उसे कैद कर उसके आदमियों को भी बन्दी बना लिया। इसके उपरान्त अनेक पुरुषों को कैद कर तथा अर्जुन को साथ ले वङ्गह्युसेनत्से चीन को लौट गया।