पृष्ठ:विक्रमांकदेवचरितचर्चा.djvu/१६२

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श्री हर्ष


और उसके साथ उधित नामके राजा को भेजा। छ महिने में ह्युयेनत्सङ्ग जलन्धर पहुंचा और वहां एक मास रह कर अपने देश को चला गया, उधित उसे पंहुचा भारत पुनः लौट आया। ह्युयेनत्सङ्ग अपने साथ ६५७ पुस्तकें, सोने और चन्दन की बुद्ध की अनेक मूर्तिएं कुमार राजा से प्राप्त पुष्कल धन तथा ३५० अन्य वस्तुएं बुद्धकी स्मृति रूप में लेगया। उसने हमारे देश के ८४ ग्रन्थों का अनुवाद चीनी भाषा में किया है. इ. स. ६६५ में वह मृत्यु को प्राप्त हो गया।

हर्षने इ. स. ६४१ में चीन के महाराजा के पास अपना एक राजदूत भेजा था। वह वहां दो वष रह करहर्ष की मृत्यु उत्तर ले लौट आया। वह इ. स. ६४५ तक भारतवर्ष में रह कर चीन को लौट गया। उसके दूसरे वर्ष बाद अर्थात् इ. स. ६४६ में चीन क महाराज ने ह्युयुसेनत्से नामक एक दूसरा एलची ३० घोड़ेस्वारों के साथ हर्ष के दरबार में भेजा परंतु उसके मगध देश में आने से पूर्व ही हर्ष की मृत्यु हो चुकी थी।